बिजनेस


अधिक दूध उत्पादनके लिए एंटीबायोटिक और हार्मोन के इंजेक्शन का इस्तेमाल
नयी दिल्ली। भारत के सर्वोच्च पशु-अधिकार संस्था-फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गनाइजेशन (एफआईएपीओ) की एक नई अनुसंधानिक रिपोर्ट कैटल-ओजीयूई Ó उत्तर प्रदेश की डेयरियों में मवेशियों की खेदजनक स्थिति पर प्रकाश डालती है और केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल ध्यान देने की मांग करती है।कार्यकारी निदेशक, वरदा मेहरोत्रा का कहना है, हमने पिछले 3 वर्षों से उत्तर प्रदेश की डेयरियों में जानवरों की स्थितियों को बार-बार देखा, लिखा और सरकार के साथ साझा किया है। दुख की बात है कि कुछ भी नहीं बदला है। गाय और भैंसें भयावह स्थिति में रह रहे हैं, जो कई बीमारियों के लिए प्रजनन स्थल है। उनके साथ दूध उत्पादन करने की मशीनों की तरह व्यवहार किया जाता था-जैसे अधिक दूध उत्पादन के लिएएंटीबायोटिक और हार्मोन के इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता था । रिपोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया कि इस तरह की परिस्थितियों को झेलने वाले गायों के दूध को पीने वाले मनुष्यों में हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और कई अन्य बीमारियों के बढऩे की संभावना बढ़ जाती थी।दुख की बात है कि एफ आई ए पी ओ की नवीनतम जांच और निष्कर्षों के अनुसार 2020 में भी उत्तर प्रदेश की स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है।2020 की जांच रिपोर्ट में, उत्तर प्रदेश के 2 जिलों में कुल 22 डेयरियों का दौरा किया गया, अर्थात्, इलाहाबाद (12 डेयरियां) और वाराणसी (10 डेयरियां), जिसमें कुल 795 डेयरी पशु थे। इनमें से7 फार्मों में होल्स्टीन गाय, 5 में जर्सी गाय और 9 में संकर गाय थीं। पशुओं की स्थिति बाजार में दूध की गुणवत्ता को निर्धारित करती है।