- कोलकाता पुलिस ने 130 दिनों के बाद अदालत के निर्देश पर गुरुवार को दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता अभिजीत सरकार का शव उनके परिवार और पार्टी के नेताओं को सौंप दिया। 2 मई को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पश्चिम बंगाल में हुई चुनाव के बाद हुई हिंसा में सरकार कथित रूप से मारे गए थे।
वहीं इस मामले में दिलीप घोष ने कहा कि “भाजपा सदस्य पार्टी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार को श्रद्धांजलि देते हैं, सरकार चुनाव के बाद की हिंसा के शिकार थे, उनका शव 4 महीने बाद उनके परिवार को सौंपा गया। ऐसी कई घटनाएं हो सकती हैं। ऐसे कार्यकर्ताओ को सम्मान देना जरूरी है, जिन्होंने अपनी जान गंवाई।” भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने चुनाव के बाद की हिंसा के पीड़ितों के पोस्टमार्टम में भी गड़बड़ी की थी। घोष ने कहा, “शव को सौंपने में 4 महीने का समय लगा ताकि सबूत मिटाए जा सकें।”
सरकार के शव को जांच के उद्देश्य से यहां एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सुरक्षित रखा गया है। कोर्ट के निर्देश के बाद उसे उसके परिवार को सौंप दिया गया। अदालत ने पहले शरीर पर डीएनए परीक्षण का आदेश दिया था, क्योंकि सरकार का परिवार इसकी पहचान नहीं कर सका था। परिवार ने लगातार आरोप लगाया था कि कोलकाता पुलिस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है और हत्या के लिए जिम्मेदार ‘तृणमूल गुंडों’ को गिरफ्तार नहीं कर रही है, जो न केवल बेखौफ घूम रहे हैं, बल्कि परिवार के सदस्यों को धमकी भी दे रहे हैं।
पीड़िता के बड़े भाई बिस्वजीत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाईकोर्ट में सरकार की मौत की जांच के लिए याचिकाएं दायर की हैं। सरकार की कथित तौर पर एक टेलीविजन केबल से गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। वह एकमात्र भाजपा कार्यकर्ता थे जिनकी राज्य की राजधानी में चुनाव के बाद हुई हिंसा में मौत हो गई थी। 19 अगस्त को, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान दुष्कर्म और हत्या के मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।