कानपुर शहर में वीआइपी मूवमेंट के बीच तीन जून को जुमा की नमाज के बाद पथराव हो गया था, जिसमें पुलिस जवान भी घायल हुए थे। उपद्रव काफी देर तक चला था। ये उपद्रव नूपुर शर्मा के बयान को लेकर एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हयात जफर हाशमी द्वारा बाजार बंदी की घोषणा के बाद दुकानें बंद कराने को लेकर हुआ था। विशेष समुदाय के लोगों द्वारा नई सड़क स्थित चंद्रेश्वर हाता को निशाना बनाकर पथराव, गोलीबारी और बमबाजी को अंजाम दिया था। उपद्रव में सात लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, जबकि 25 से अधिक लोग मामूली रूप से चोटिल हुए। पुलिस ने उपद्रव में मुख्य आरोपित हयात जफर हाशमी समेत 58 लोगों को गिरफ्तार कर अबतक जेल भेजा है।
पिछले दिनों पुलिस ने हयात और उसके साथियों को दो बार रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी, जिसमें बाबा बिरियानी रेस्टोरेंट के मालिक मुख्तार बाबा और बिल्डर हाजी बसी द्वारा फंडिंग की जानकारी मिली थी। इसके साथ उन दोनों की उपद्रव की रणनीति में भी संलिप्तता पाई गई थी। क्योंकि उनपर शत्रु संपत्ति व विवादित संपत्तियों को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा था। ऐसे में वो प्रशासन का ध्यान शत्रु संपत्ति मामले से भटकाना चाहते थे और उपद्रव की रणनीति में शामिल थे। पुलिस जांच के दौरान सामने आया था कि चंद्रेश्वर हाता हिंदुओं की बस्ती है और ठीक पीछे एक विशेष समुदाय के लोग रहते हैं। हाजी वसी और मुख्तार बाबा की साजिश थी कि चंद्रेश्वर हाता में रहने वाले छोड़कर चले जाएं ताकि यहां बहुमंजिला इमारत खड़ी करके आर्थिक लाभ लिया जा सके।