केस निजी उधारकर्ता कंपनी और उसके निदेशकों के साथ-साथ अज्ञात संस्थाओं के खिलाफ दर्ज किया गया। आरोप है कि उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक और कंसोर्टियम सदस्य बैंकों- सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक आफ कामर्स को नुकसान पहुंचाया है।
एजेंसी के मुताबिक, बैंक को ये नुकसान कथित तौर पर फंड को डायवर्ट करने, विदेशी निष्क्रिय संस्थाओं को बिक्री दिखाने और खातों की किताबों में हेराफेरी करने के कारण हुआ था। यह भी आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने उन संस्थाओं को अग्रिम राशि देकर बैंक धन का दुरुपयोग किया, जिन्होंने पिछले पांच से नौ वर्षों के दौरान व्यवसाय नहीं किया था और अपने संबंधित पक्षों को ऋण और अग्रिम प्रदान किया था। इस दौरान नियमों और शर्तों का उल्लंघन भी हुआ।
- मुंबई और पुणे में अभियुक्तों के परिसरों में तीन स्थानों पर तलाशी ली गई
- सीबीआई ने महत्वपूर्ण दस्तावेज या सामान को बरामद किया गया।