नई दिल्ली, । वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाएं (India’s long-term growth prospects) सार्वजनिक पूंजी व्यय वाले कार्यक्रमों (Public capital expenditure programmes) में निहित हैं। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित तीसरी G20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (FMCBG) की बैठक में भाग लेते हुए निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि लचीली आर्थिक प्रणालियों के लिए साक्ष्य-आधारित नीति (evidence-based policy) बनाना महत्वपूर्ण है।
सरकार ने महामारी से प्रभावित आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए पूंजीगत व्यय को बढ़ाने पर जोर दिया है। यह उम्मीद की जाती है कि सार्वजनिक खर्च में वृद्धि से निजी निवेश में भी इजाफा होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय (Capital expenditure- कैपेक्स) को 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया, ताकि कोरोना महामारी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक निवेश के दम पर जान फूंकी जा सके। पिछले साल पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) 5.5 लाख करोड़ रुपये था।
ग्रीन ट्रांजिशन पर जोर
वित्तमंत्री ने बैठक में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि स्थायी वैश्विक सुधार के लिए जलवायु कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को धन मुहैया कराने और ग्रीन ट्रांजिशन को बढ़ावा देने पर ध्यान देने की भी आवश्यकता है। G20-FMCBG में भाग लेते हुए सीतारमण ने G20 के स्वास्थ्य एजेंडा पर विचार साझा किए, जिसमें कोरोना महामारी की तैयारी और उससे निपटने के लिए किए जाने वाले उपाय शामिल हैं। उन्होंने आपात स्वास्थ्य स्थितियों के लिए तत्काल संसाधन जुटाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।