मुख्यमंत्री ने शनिवार को उच्चस्तरीय बैठक में किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ट्यूबवेल की तकनीकी खराबी को हर हाल में 24 से 36 घंटे के भीतर ठीक कराया जाए। जहां ट्यूबवेल पर निर्भरता ज्यादा है, वहां सोलर पैनल लगाए जाएं। कम वर्षा के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच एक-एक अन्नदाता किसान का हित सुरक्षित रखा जाएगा। खेती-किसानी की जमीनी स्थिति का सूक्ष्मता से आकलन करते हुए किसानों को हर संभव मदद दी जाएगी। इस संबंध में अविलंब सभी विकल्पों को समाहित करते हुए राहत की बेहतर कार्ययोजना तैयार की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 33 जिले ऐसे हैं जहां सामान्य से 40 से 60 प्रतिशत तक ही वर्षा हुई है। 19 जिलों में तो 40 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई है। इन जिलों में खरीफ फसलों की बुआई प्रभावित हुई है। हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना होगा। प्रदेश में वर्षा की स्थिति, फसल बोआई की सही स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट अगले तीन दिन के भीतर भारत सरकार को भेजी जाए।
खरीफ अभियान 2022-23 के तहत 20 अगस्त तक की स्थिति के अनुसार प्रदेश में 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में 93.22 लाख हेक्टेयर की बोआई हो सकी है, जो कि लक्ष्य का 97.7 प्रतिशत है। गत वर्ष इसी तिथि तक 98.9 लाख हेक्टेयर बोआई हो चुकी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कम बारिश के कारण कई क्षेत्रों में धान की पैदावार पर विपरीत असर पड़ने की आशंका है। वर्तमान परिस्थितियों के बीच सब्जी की खेती को प्रोत्साहित करना बेहतर विकल्प हो सकता है। किसानों को वैकल्पिक खेती के बारे में जागरूक किया जाए।
हर परिस्थिति के लिए रहना होगा तैयार : मुख्यमंत्री ने कुछ जिलों में नदियों के जलस्तर बढ़ने पर संवेदनशील तटबंधों की निगरानी के लिए सतत पेट्रोलिंग के निर्देश भी दिए हैं। जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग को हर जरूरी सहायता उपलब्ध कराए। अभी कम वर्षा हुई है, संभव है कि आने वाले कुछ दिनों में तेज और अधिक वर्षा हो। ऐसे में हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा। अगस्त के अंतिम सप्ताह तक सभी जिलों एवं कृषि विभाग से फसल की स्थिति, पेयजल की स्थिति एवं पशुओं के लिए चारा की उपलब्धता के संबंध में रिपोर्ट प्राप्त की जाए।
मौसम की सही जानकारी देने के लिए बने पोर्टल : आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान के लिए बेहतर प्रणाली का विकास जरूरी है। जनहानि एवं पशुहानि को न्यूनतम रखने में सहायता मिलेगी। विभाग आपस में संवाद-संपर्क बनाकर रखें। किसानों को मौसम की सही जानकारी देने के लिए राज्य स्तर पर पोर्टल विकसित किया जाए। इससे किसानों को मदद मिलेगी।
तीन वर्षों में हुई सबसे कम वर्षा : पिछले तीन वर्षों में इस वर्ष सबसे कम वर्षा रिकार्ड की गई है। 20 अगस्त तक इस बार प्रदेश में कुल 284 मिलीमीटर वर्षा हुई है। वर्ष 2021 में इस तिथि तक 504.10 और वर्ष 2020 में 520.3 मिलीलीटर वर्षा हुई थी। एकमात्र चित्रकूट जिला ही ऐसा है जहां इस बार सामान्य वर्षा हुई है।