मऊ

गोद में छोरा,शहर-शहर ढिढोरा पीटती रही पुलिस …पुलिस ने मुख्तार के विधायक बेटे अब्बास के और अब्बास ने कोर्ट के सामने किया सरेंडर


मऊ।दुर्दान्त माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी को करीब तीन माह से पुलिस की बत्तीस टीमें लगाकर ढुढवाने के ढोंग का शुक्रवार को पर्दाफाश हो गया।यूपी,बिहार,दिल्ली,राजस्थान,पंजाब आदि प्रान्तों में जिस अब्बास को पुलिस की टीमें तलाश रहीं थीं, वो गुरूवार को सैफई में मुलायम सिंह यादव की श्रद्धांजलि सभा में दिखा और शुक्रवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र मऊ आकर एमपी-एमएलए कोर्ट में  आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन मामले में आत्मसमर्पण कर दिया और अदालत ने उसे जमानत भी दे दी।जिससे ‘गोद में छोरा और शहर में ढिढोरा’ वाली कहावत चरितार्थ होते नजर आयी।जमानत मिलने के बाद अब्बास अपनी मूंछों पर ताव देते हुए कोर्ट से निकला और जनता के बीच जाने की बात कही।साथ ही यह भी कहा कि देखना यह है कि प्रशासन उसे जनता के बीच जाने देता है या नहीं।कुछ भी हो सकता है, लगातार साजिशें चल रहीं हैं।इस दौरान पुलिस के चेहरे पर मातम जैसा दृश्य दिखाई दे रहा था।पुलिस को यह महसूस हो रहा था कि वह इस मामले में पूरी तरह फ़ेल हुई है।पुलिस के साथ-साथ इंटेलीजेंस भी पूरी तरह फ़ेल साबित हुई है।जिस अब्बास अंसारी को भगोङा घोषित कर दिया गया था।उसकी सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश हो गया था।वह सैफई से मऊ आकर बङे आराम से अदालत परिसर में पहुंच गया।जहाँ मेटल डिटेक्टर के साथ ही भारी संख्या में पुलिसकर्मी अदालत के मुख्य द्वार पर तैनात रहते हैं  और हर आने-जाने वाले की सघन चेकिंग का नाटक करते रहते हैं।इस सघन चेकिंग के दौरान भी अब्बास का काफिला कैसे निकल गया? यह सवाल मऊ पुलिस को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है।दरअसल,अपराधियों का पुलिस के सामने सरेंडर करने के अनेकों मामले हुए थे।लेकिन,आज अब्बास के सामने मऊ  पुलिस को सरेंडर करते हुए पहली बार देखा गया।अदालत से निकलते समय अब्बास से हाथ मिलाने वाले समर्थक भी पहुंचे और कहा कि चापे रहो!सेर का सेर ही होते सुना गया था।लेकिन,तुम तो सवा सेर हो।सचमुच आज अब्बास अंसारी ने साबित कर दिया कि मुख्तार अंसारी दुनिया की नजरों में  अगर नम्बरी रहे तो वह आज के दौर में दस नम्बरी है।पुलिस स्मृति दिवस के गम में डूबी पुलिस आज हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद देर सायं तक अपनी नाकामियों के  गम से नहीं उबर पायी थी।शायद,यही वज़ह है कि पुलिस के आला अधिकारियों के पास इस मामले में कोई जवाब नहीं था और आला अफसरों ने अपने-अपने होंठ सिले रखे।