नई दिल्ली, पीटीआई। जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ (Dhananjaya Y Chandrachud) भारत के 50वें चीफ जस्टिस हैं। कई अहम फैसलों में उनकी भूमिका उल्लेखनीय है। उन्होंने न्यायिक प्रणाली के डिजिटाइजेशन में मुख्य भूमिका निभाई। साथ ही अयोध्या विवाद मामला, धारा 377 और निजता का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मामलों में ऐतिहासिक फैसला दिया। देश के चीफ जस्टिस के तौर पर चंद्रचूड़ दो सालों तक अपना कार्यकाल निभाएंगे।
अयोध्या भूमि विवाद, धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का अहम फैसला चीफ जस्टिस ने ही लिया है।
राष्ट्रपति ने अक्टूबर में की थी नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट के 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं। वह जस्टिस उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला CJI नियुक्त किया था।
शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ जज अपने पिता व पूर्व चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के पदचिन्हों का अनुसरण करते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 16वें चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। उन्हें 29 मार्च 2000 को बाम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त किया गया था। 31 अक्टूबर 2013 को उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी।
देश के इतिहास में पहली बार पिता-पुत्र CJI
पिता वाई वी चंद्रचूड़ के नाम सबसे अधिक समय तक देश का चीफ जस्टिस होने का रिकार्ड है। वे 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक चीफ जस्टिस के पद पर रहे। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पिता-पुत्र दोनों ही न्यायप्रणाली के सर्वोच्च पद पर रहे हों।
शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ जज अपने पिता व पूर्व चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के पदचिन्हों का अनुसरण करते हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 16वें चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं। उन्हें 29 मार्च 2000 को बाम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त किया गया था। 31 अक्टूबर 2013 को उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी।
पिता के नाम सबसे अधिक समय तक चीफ जस्टिस रहने का रिकार्ड
पिता वाई वी चंद्रचूड़ के नाम सबसे अधिक समय तक देश का चीफ जस्टिस होने का रिकार्ड है। वे 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक चीफ जस्टिस के पद पर रहे। देश के इतिहास में ऐसा हली बार हुआ है, जब पिता-पुत्र दोनों ही न्यायप्रणाली के सर्वोच्च पद पर रहे हों।