वाराणसी, ज्ञानवापी परिसर का कब्जा भगवान आदि विश्वेश्वर को सौंपने और वहां मिले शिवलिंग के दर्शन-पूजन का अधिकार देने की मांग को लेकर विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह के प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट (सीनियर डिवीजन) महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत में मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं (पोषणीयता) इस पर मंदिर व मस्जिद पक्ष की ओर से दलीलें पूरी हो गई। मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, वाराणसी कोर्ट ने मामला सुनवाई योग्य माना। अब इस पर सुनवाई दो दिसंबर को होगी।
ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपने सहित तीन मांगों को लेकर भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के मुकदमे की सुनवाई आज वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी। अदालत अपने आदेश से तय करेगी कि मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं है। इससे पहले इस मुकदमे के संबंध में बीती 14 नवंबर को कोर्ट का आदेश आना था।
यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह विसेन और अन्य की ओर से दाखिल किया गया है। कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी बहस पूरी कर उसकी लिखित प्रति दाखिल कर चुके हैं।
विश्व वैदिक सनातन संघ की अतंरराष्ट्रीय महामंत्री किरन सिंह की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर 14 नवंबर सुनवाई हुई। इस बाबत सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र में ज्ञानवापी परिसर को मंदिर बताते हुए हिंदुओं को सौंपने और वहां मिले शिवलिंग के दर्शन-पूजन की मांग की गई थी। इस पर पूर्व में मुस्लिम पक्ष की ओर से आपत्ति जताते हुए इसे खारिज करने की मांग भी की गई थी। हालांकि पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान दोनों ही पक्षों की ओर से अदालत में पर्याप्त दलीलें दी जा चुकी हैं। ऐसे में अदालत इस केस की पोषणीयता (मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं) को लेकर कोर्ट इसपर अब आदेश की अब उम्मीद है।
6 मुकदमे खत्म कराने को रची गई साजिश
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन का कहना है कि उनकी देखरेख में ज्ञानवापी से संबंधित 6 मुकदमे लड़े जा रहे हैं। उन्हें आशंका है कि कुछ लोगों की साजिश से सभी उनकी देखरेख वाले सभी मुकदमे खत्म हो जाएंगे। काशीवासियों को सावधान होने की जरूरत है। ज्ञानवापी को बेचने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। यदि साजिश को अभी काशी के लोग नहीं समझ पाएंगे तो आगे कभी नहीं समझ पाएंगे।