योगेश कुमार गोयल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गत दिनों देशका मुख्य स्वदेशी युद्धक टैंक ‘अर्जुन मार्क-१ए’ (एमके-१ए) चेन्नई में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणेको सौंपते हुए राष्ट्रको समर्पित किया गया। सीमापर दुश्मनोंको करारा जवाब देनेके लिए इस टैंकका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संघटन (डीआरडीओ) के ‘लड़ाकू वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठानÓ (सीवीआरडीई) द्वारा किया गया है। डीआरडीओ रक्षा क्षेत्रमें देशको आत्मनिर्भर बनानेके लिए तेजीसे कार्य कर रहा है। अत्याधुनिक क्षमतासे लैस अर्जुन मार्क-१ए टैंक पूर्णत: स्वदेशी है, जिसकी डिजाइनिंगसे लेकर डवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंगतकका सारा काम देशमें ही सम्पन्न हुआ है। भारतीय सेना अर्जुन श्रेणीके कई टैंकोंका पहलेसे ही इस्तेमाल कर रही है। गौरतलब है कि टैंक निर्माणके क्षेत्रमें आत्मनिर्भर बननेके लिए भारतने वर्ष १९७२ में शुरुआत की थी लेकिन तीन दशकोंतक इस क्षेत्रमें अपेक्षित सफलता नहीं मिलनेके बाद आखिरकार भारतका स्वदेशी ‘अर्जुनÓ टैंक परीक्षणमें खरा उतरा। अर्जुन टैंक वर्ष २००४ में सेनामें शामिल हुआ था और तबसे अबतक इसमें कई बदलाव हो चुके हैं।
अर्जुन टैंकको सेनामें शामिल किये जानेके बाद सेना द्वारा इसके अपडेटेड वर्जनके लिए ७२ तरहके सुधारोंकी मांग की गयी थी, जिसके बाद डीआरडीओ द्वारा सेनाके सुझावोंको शामिल करते हुए नया ‘हंटर किलरÓ टैंक अर्जुन मार्क-१ए तैयार किया गया। ‘अर्जुन मार्क-१एÓ अर्जुन टैंकका अद्यतन वर्जन है और पहलेके वर्जनसे ज्यादा अपग्रेडेड, शक्तिशाली, घातक और विध्वंसक है। अर्जुन टैंक दुनियाके बेहतरीन टैंकोंमें शामिल है और अब इसका अत्याधुनिक वर्जन भारतीय सेनामें शामिल होनेके बाद भारतीय सेनाकी ताकत काफी बढ़ जायगी। डीआरडीओके वैज्ञानिक वी. बालामुरगनके मुताबिक अर्जुन टैंकमें कुल ७१ बदलाव किये गये हैं, जिनमें ४० बड़े बदलाव हैं। अर्जुन माक-१ए आधुनिक युद्धक टैंक प्रौद्योगिकियोंके साथ सुसज्जित है, जिसमें बेहतर मारक क्षमता, उच्च गतिशीलता, उत्कृष्ट सुरक्षा इत्यादि अनेक विशेषताएं हैं। स्वदेशी रूपसे डिजाइन एवं निर्मित मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन एमके-१ए में स्वदेशी गोला-बारूदका भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
डीआरडीओ द्वारा अर्जुन टैंकके नये संस्करणोंकी सप्लाई करनेके लिए कुछ समय पूर्व सेनाके साथ अनुबंध किया गया था। भारतीय सेनाके पास पहलेसे ही १२४ अर्जुन टैंक हैं लेकिन वे परम्परागत तकनीकके टैंक हैं, जो पश्चिमी रेगिस्तानमें तैनात हैं जबकि अर्जुन माक-१ए को आम्र्ड फाइटिंग ह्वीकल क्षमतामें देशकी आत्मनिर्भरताके लिए विकसित किया गया है। बता दें कि वर्ष २०१२ में ही ११८ उन्नत अर्जुन टैंक खरीदनेके लिए मंजूरी दे दी गयी थी और रक्षा खरीद समितिने वर्ष २०१४ में इसके लिए ६६०० करोड़ रुपये जारी कर दिये थे लेकिन सेना द्वारा इसकी फायर क्षमता सहित कई अन्य सुधारोंकी मांग की गयी थी। वर्ष २०१५ में रूसके साथ ४६४ मध्यम वजनके टी-९० टैंककी खरीदके लिए १४ हजार करोड़ रुपयेका सौदा किया गया था और डीआरडीओ द्वारा सेनाकी मांगके अनुरूप अर्जुन टैंकको उन्नत किये जानेके बाद ‘अर्जुन मार्क-१एÓ की खरीदको २०२० में हरी झंडी मिली। भारतीय सेना और डीआरडीओ द्वारा संयुक्त रूपसे राजस्थानके सीमावर्ती जैसलमेर स्थित पोखरण फील्ड फायरिंग रेंजमें मार्च २०२० में देशमें निर्मित उन्नत युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-१ए का परीक्षण किया गया था, जो सभी मानकोंपर खरा उतरा था लेकिन सेना द्वारा डीआरडीओसे इसमें कुछ और सुधारकी मांग की गयी थी।
सेनाके लिए ८४०० करोड़की कीमतपर ११८ अर्जुन मार्क-१ए टैंक खरीदे गये हैं। अर्जुन टैंकका डिजाइन तैयार करनेवाले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संघटन (डीआरडीओ) के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डीके मुताबिक सेनाको पांच टैंक ढाई वर्षके भीतर सौंप दिये जायंगे। रेड्डीके अनुसार टैंकके नये संस्करणमें जो ७१ अतिरिक्त फीचर जोड़े गये हैं, वे इसे दुनियाके सभी श्रेष्ठ टैंकोंके समकक्ष खड़ा करते हैं। दुनियाभरमें सबसे ज्यादा ९१५० टैंक चीनके पास हैं जबकि अमेरिकाके पास ८३२५ और भारतके पास ३५६९ टैंक हैं। ऐसेमें सेनाको बेहद ताकतवर बनानेके लिए ऐसे अत्याधुनिक स्वदेशी टैंकोंको सेनामें शामिल किया जाना समयकी बड़ी मांग है। इस टैंकके सेनाका महत्वपूर्ण अंग बननेके बाद भारतीय सेनाकी जमीनपर मारक क्षमताको काफी मजबूती मिलेगी। अर्जुन मार्क-१ए साधारण अर्जुन टैंकसे कई गुना ज्यादा ताकतवर है और तेजीसे अपने लक्ष्यका पीछा कर सकता है। यह टैंक अपने लक्ष्यको ढूंढ़कर उसपर वार कर सकता है तथा इसमें आड़ लेकर हमला कर रहे दुश्मनोंको तबाह करनेकी विलक्षण क्षमता है और इसी कारण इसे ‘हंटर किलर टैंकÓ भी कहा जाता है। मारक और बचाव क्षमताके दृष्टिगत विश्वस्तरीय अर्जुन मार्क-१ए टैंक में मुख्य हथियार और सहायक हथियार, दोनोंकी भूमिका निभानेकी क्षमता भी है। इस टैंकमें विशेष सेंसर लगाये गये हैं, जो रासायनिक हमलेसे इसकी रक्षा कर सकते हैं। यही नहीं, टैंकपर ग्रेनेड और मिसाइलोंसे हमलेका भी कोई असर नहीं होगा।
भारतीय सेनाकी विशेष ताकत बना यह टैंक न सिर्फ लैंड माइंसको साफ करते हुए आसानीसे आगे बढ़ सकता है, बल्कि अपने लक्ष्यको स्वयं तलाश करनेमें भी सक्षम है। यह टैंक दिन-रात, हर प्रकारके मौसम अर्थात् हर समय अपने लक्ष्यपर अचूक और तेज गतिसे हमला कर सकता है और दुश्मनको खोजकर मार सकता है। उच्च कोटिके इंजन और बेहद दमदार ट्रांसमिशन सिस्टमसे लैस इस टैंकका लचीला हाइपरन्यूमेटिक सस्पेंशन इसे बहुत घातक बना देता है। इसमें दुश्मनपर पहले वार करने, दौड़ते-भागते लक्ष्योंपर भी निशाना साधने और लगातार हिलनेवाले लक्ष्योंपर अचूक निशाना लगानेकी विलक्षण क्षमता है। युद्धके दौरान कमसे कम समयमें दुश्मनोंके हमलोंका जवाब देनेकी क्षमतासे लैस यह टैंक युद्धमें ज्यादासे ज्यादा दूरीतक दुश्मनके सैन्य साजो-सामानका विनाश कर सकता है। इसमें लगा उच्च गुणवत्ताका रनिंग गियर धमाकेके समय भारी झटकेको सीमित कर देता है।
६८ टन वजनी और ५८ किलोमीटर प्रतिघंटाकी गतिसे दौडऩेमें सक्षम इस टैंकमें गन कंट्रोल सिस्टम और ट्रैक सिस्टम इंजन स्वदेशी हैं। इसमें १२०० एमएमकी गनके अलावा ७.६२ एमएम और ग्राउंड टार्गेटके लिए १२.७ एमएमकी गन लगी है। रातमें दुश्मनपर नजर रखनेके लिए इसमें थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगे हैं। इसके अलावा इसमें लगी एंटी एयरक्राफ्ट मशीनगनसे जमीनसे ही लड़ाकू हेलिकॉफ्टरको मार गिराया जा सकेगा। माना जा रहा है कि आनेवाले समयमें इस टैंकसे मिसाइलें भी छोड़ी जा सकेंगी। टैंकमें कमांडर, गनर, लोडर और चालकका क्रू होगा। ११८ अर्जुन मार्क-१ए टैंकोंकी कुल दो रेजीमेंट बनेंगी और दोनों रेजीमेंटमें ५९-५९ टैंक होंगे। सेनाकी दो टैंक रेजीमेंटके पुराने टैंक अर्जुन मार्क-१ए टैंकोंसे बदले जायंगे।