नई दिल्ली, दुनिया में अपनी तरह के इस पहले विश्लेषण में विश्व भर के हर राज्य और प्रांत का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत के नौ राज्य जलवायु परिवर्तन के आठ नुकसानदेह प्रभावों से होने वाली क्षति के सबसे गंभीर खतरे वाले शीर्ष 50 क्षेत्रों में शामिल हैं।
क्लाइमेट रिस्क ग्रुप के हिस्से यानी क्रास डिपेंडेंसी इनीशियेटिव (एक्सडीआइ) ने सोमवार को ग्रोस डामेस्टिक क्लाइमेट रिस्क (जीडीसीआर) के प्रथम विश्लेषण की रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में वर्ष 2050 में दुनिया के 2600 से ज्यादा इलाकों में निर्मित पर्यावरण पर पड़ने वाले भौतिक जलवायु जोखिम की तीव्रता की गणना की गई है।
एक्सडीआइ ग्रोस डोमेस्टिक क्लाइमेट रिस्क के डेटासेट में इन राज्यों की तुलना की गई है। यह तुलना जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न बाढ़, जंगलों की आग, ताप लहर और समुद्र के जलस्तर में बढ़ोत्तरी जैसी चरम मौसमी घटनाओं से इमारतों तथा अन्य सम्पत्ति को होने वाले नुकसान के मानकीकृत अनुमानों के हिसाब से की गई है। वर्ष 2050 तक जोखिम से घिरने जा रहे राज्यों की सूची में एशिया के सबसे ज्यादा प्रांत शामिल हैं। कुल 200 में से 114 राज्य एशिया के ही हैं। इन 114 राज्यों में चीन और भारत के प्रदेशों की संख्या सबसे ज्यादा है।
अध्ययन के मुताबिक 2050 तक जो राज्य सबसे ज्यादा खतरे से घिर जाएंगे उनमें से शीर्ष 50 में से 80 प्रतिशत प्रदेश चीन, अमेरिका और भारत के होंगे। चीन के बाद भारत के सबसे ज्यादा नौ राज्य शीर्ष 50 में शामिल हैं। इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और केरल शामिल हैं।
यह पहली बार है जब दुनिया के हर राज्य, प्रांत और क्षेत्र की तुलना में विशेष रूप से निर्मित पर्यावरण पर केंद्रित भौतिक जलवायु जोखिम विश्लेषण किया गया है। क्षति जोखिम वाले शीर्ष 100 स्थानों में अत्यधिक विकसित और विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण एशियाई आर्थिक केंद्रों में बीजिंग, जकार्ता, हो ची मिन्ह सिटी, ताइवान और मुंबई शामिल हैं।
एक्सडीआइ के सीईओ रोहन हम्देन ने कहा “अगर जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी हालत उत्पन्न हुए तो क्षति के सम्पूर्ण पैमाने और जोखिम में वृद्धि के लिहाज सबसे ज्यादा नुकसान एशियाई क्षेत्र को होगा। मगर यदि जलवायु परिवर्तन को बदतर होने से रोका गया और जलवायु के प्रति सतत निवेश में वृद्धि हुई तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भी एशियाई देशों को ही होगा। यह भौतिक जलवायु जोखिम का अब तक का सबसे परिष्कृत वैश्विक विश्लेषण है, जो पहले कभी नहीं देखे गए पैमाने पर व्यापकता और गहराई और कणिकता (ग्रैन्युलैरिटी) प्रदान करता है। वित्त उद्योग अब पहली बार लाइक-फॉर-लाइक जैसी पद्धति का उपयोग करके सीधे मुंबई, न्यूयॉर्क और बर्लिन की तुलना कर सकता है।”
वर्ष 2050 के लिये 2023 एक्सडीआइ ग्रोस डोमेस्टिक क्लाइमेट रिस्क रैंकिंग
एशिया के सर्वाधिक रैंकिंग वाले राज्य (इस तालिका में, एशिया का संदर्भ पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया से है)
देश- राज्य- वर्ष 2050 में कुल क्षति के हिसाब से वैश्विक रैंकिंग- 1950-2050 के दौरान क्षति जोखिम में वृद्धि का प्रतिशत
- चीन- जियांगसू- 1- 117%
- चीन- शेडोंग- 2- 78%
- चीन- हेबै- 3- 132%
- चीन- गुआंग्डोंग- 4- 73%
- चीन- हेनान- 5- 73%
- चीन- झेजियांग- 6- 101%
- चीन- एन्हुई- 7- 91%
- चीन- हुनान- 8-123%
- चीन- शंघाई- 9-105%
- चीन- लियाओनिंग- 11- 89%
- चीन- जियांगझी- 12- 106%
- चीन- हुबेई- 13- 86%
- चीन- तियानजिन- 14- 101%
- चीन- हीलोंगजियांग- 15- 89%
- चीन- सिचुआन- 16- 225%
- चीन- गुआंगझी- 17- 101%
- पाकिस्तान- पंजाब- 18- 46%
- चीन- नी मंगोल- 21- 85%
- भारत- बिहार- 22- 141%
- इंडोनेशिया- जवा तैमूर- 23- 63%
- इंडोनेशिया- जवा बारात- 24- 140%
- भारत- उतार प्रदेश- 25- 96%
- चीन- शांक्सी- 26- 132%
- चीन- जिलिन- 27- 83%
- भारत- असम- 28- 331%
- चीन- युन्नान- 29- 250%
- चीन- शांक्सी- 30- 90%
- इंडोनेशिया- जवा टेंगा- 31- 86%
- भारत- राजस्थान- 32- 57%
- चीन- फ़ुज़ियान- 34- 78%
- भारत- तमिलनाडु- 36- 71%
- चीन- गुइझोउ- 37- 125%
- भारत- महाराष्ट्र- 38- 81%
- पाकिस्तान- सिंध- 39- 74%
- चीन- गांसू- 41- 190%