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Delhi: विवादों में रहे हैं केजरीवाल सरकार के पिछले तीनों कार्यकाल 2015 में हुई थी इस जंग की शुरुआत


 नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार के पिछले तीन कार्यकाल में कई विवाद रहे हैं। दिल्ली सरकार और एलजी या केंद्र सरकार के बीच तकरार चलती रही है। कभी भी विवाद कम नहीं हुआ है, बल्कि और बढ़ा है।

केजरीवाल सरकार के गठन के बाद इसी तबादले और नियुक्त को लेकर विवाद शुरू हुआ था। यही वह मुद्दा था जिसे लेकर सबसे अधिक विवाद हुआ है। विवाद की जड़ में जाएं तो मई 2015 में कार्यवाहक मुख्य सचिव लगाए जाने को लेकर विवाद अधिक बढ़ गया था।

उस समय के मुख्य सचिव के के शर्मा के एक माह के लिए विदेश जाने पर तत्कालीन ऊर्जा सचिव शकुंतला गैमलिन को कार्यकारी मुख्य सचिव बनाए जाने पर यह विवाद गर्मा गया था, उस समय दिल्ली सरकार ने कार्यकारी मुख्य सचिव पद के लिए नैनी जयसीलन, अरविंद रे और एसके सिंह के नाम उपराज्यपाल के पास भेजे थे। मगर एलजी ने गैमलिन को जिम्मेदारी सौंप दी थी।इस पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल आमने-सामने आ गए थे।

क्या क्या रहे हैं विवाद?

  • आम आदमी पार्टी 2013 में पहली बार 49 दिन सत्ता में रही थी, मगर कांग्रेस से हुए मनमुटाव पर केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था और आप की सरकार चली गई थी। 2015 में नजीब जंग के उपराज्यपाल रहते इस जंग की शुरुआत हुई थी।
  • एक अप्रैल 2015 : तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग ने नौकरशाहों से मुख्यमंत्री का वह आदेश नहीं मानने को कहा जिसमें पुलिस, पब्लिक आर्डर और जमीन से जुड़े सभी मामलों की फाइलें उनके माध्यम से एलजी को भेजने के लिए निर्देश दिया गया था।
  • 29 अप्रैल 2015 : केजरीवाल ने अधिकारियों से कहा कि सभी फाइलें उपराज्यपाल के पास भेजने की जरूरत नहीं है।
  • 15 मई 2015 : केजरीवाल ने शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाए जाने का विरोध किया।
  • 20 मई 2015 : जंग ने दिल्ली सरकार द्वारा की गई सभी नियुक्तियों को रद कर दिया और कहा कि सभी नियुक्तियों का अधिकार केवल उन्हे है।
  • 21 मई 2015 : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर स्पष्ट किया कि दिल्ली में सभी तरह के स्थानांतरण और नियुक्तियां करने का अधिकार केवल उपराज्यपाल को है। साथ ही एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) को केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने के अधिकार से बाहर कर दिया।
  • 28 मई 2015 : आप सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना को हाइ कोर्ट में चुनौती दी।
  • 28 मई 2015 : केंद्र सरकार अपनी अधिसूचना को लेकर हाइ कोर्ट की टिप्पणियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई।
  • 10 जून 2015 : हाइ कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना को रद कर दिया।
  • 4 अगस्त 2016 : हाइ कोर्ट ने उपराज्यपाल का दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया बताया।
  • 31 अगस्त 2016 : हाइ कोर्ट के आदेश को आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
  • 15 फरवरी 2017 : सुप्रीम कोर्ट ने राजनिवास और दिल्ली सरकार के बीच चल रही रस्साकशी को संवैधानिक पीठ को भेज दिया।
  • 20 फरवरी 2018 : मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने आप विधायकों और मुख्यमंत्री पर अभद्र व्यवहार का आरोप लगाया।
  • 11 जून 2018 : केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ राजनिवास में धरने पर बैठ गए।
  • 19 जून 2018 : केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने नरम रूख अपनाते हुए धरना खत्म कर दिया।
  • 4 जुलाई 2018 : सुप्रीम कोर्ट के की पांच सदस्सीय पीठ ने उपराज्यपाल को चुनी हुई सरकार की सलाह मानने के लिए बाध्य करार दिया।
  • 14 फरवरी 2019 : दो सदस्यीय संविधान पीठ ने शक्तियों के विभाजन का निर्णय दिया, लेकिन इस निर्णय को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया गया, जहां अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

सरकार का बैजल के साथ कब कब रहा है टकराव

  • मार्च 2020 -कोविड महामारी के दौरान केजरीवाल सरकार और एलजी कार्यालय आम तौर पर एक ही साथ थे।हालांकि कुछ ऐसे उदाहरण भी आए हैं जब आप सरकार और एलजी कार्यालय आमने-सामने थे।
  • मार्च 2021-उपराज्यपाल को शक्तियां प्रदान करने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली संशोधन विधेयक 2021 को संसद से मंजूरी।
  • फरवरी 2023-दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली संशोधन विधेयक 2021 को दिल्ली विधानसभा में लागू करने से इंकार किया।
  • 11 मई को आप सरकार के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया -19 मई 2023 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली संशोधन अध्यादेश 2023 लाया गया।