भरूच (गुजरात)। पुलिस ने कहा कि एक व्यक्ति ने शुक्रवार तड़के गुजरात के भरूच शहर में एक शंकराचार्य ‘मठ’ को आग लगाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, आरोपी ने मठ के पुजारी के लिए एक धमकी भरा संदेश भी छोड़ा।
सीसीटीवी में कैद हुई वारदात
भरूच जिले के पुलिस अधीक्षक मयूर चावड़ा ने कहा कि घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। जानकारी मिलते ही पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंची और अपराधी को पकड़ने के लिए जांच शुरू कर दी। यह धार्मिक संस्था नर्मदा नदी के तट पर नवचौकी ओवारा क्षेत्र में स्थित है।
चावड़ा ने मीडिया से कहा, “सुबह लगभग 5.30 बजे, एक व्यक्ति ने मठ के दरवाजे पर आग लगाने के लिए कुछ सामग्री फेंकी। सीसीटीवी कैमरे में यह हरकत कैद हो गई है। हमने मामले की विस्तृत जांच के लिए विभिन्न टीमों का गठन किया है। इस संबंध में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।”
पुजारी के नाम लिखी धमकी भरी चिट्ठी
फुटेज में काले कपड़े और सफेद टोपी पहने एक व्यक्ति को मठ के दरवाजे की ओर कुछ फेंकते हुए देखा जा सकता है। फिर वह दरवाजे तक जाता है और आग लगा देता है। दरवाजे में आग लगाने से पहले अज्ञात व्यक्ति ने कागज के तीन-चार टुकड़े दरवाजे की ओर फेंके। पुजारी से फोन आने के बाद परिसर का दौरा करने वाले एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, “इन कागजात में हाथ से एक संदेश लिखा था, ‘गुस्ताख पीर की सजा, सर तन से जुदा’।”
मठ के पुजारी मुक्तानंद स्वामी ने कहा कि वह उस समय परिसर में थे। स्वामी ने मीडिया को बताया कि शंकराचार्य मठ और आसपास के दो मंदिर द्वारका शारदा पीठ के अंतर्गत आते हैं, जो आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार प्रमुख मठों में से एक है।
मंदिर में पूजा करने गए थे पुजारी
पुजारी ने कहा, “जब मैं सुबह करीब 5 बजे बगल के मंदिर में पूजा करने के बाद अपने मठ में लौटा, तो मेरे पड़ोसी दिलीप दवे दौड़ते हुए आए और मुझे बताया कि एक व्यक्ति मठ के दरवाजे पर कुछ सामान फेंक रहा था। उस आदमी ने फिर दरवाजे में आग लगा दी, जिसे बाद में मैंने बुझाया।”
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, स्वामी ने कहा कि जब उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि दरवाजे में आग किसने लगाई है, तो उन्हें आसपास कोई नजर नहीं आया। उन्होंने कहा, “जब मैंने सीसीटीवी फुटेज की जांच की, तो मुझे पता चला कि एक व्यक्ति नदी के किनारे से परिसर में घुसा और मठ और मंदिर की ओर कुछ सामग्री फेंकी। उसने दरवाजे की ओर कागज के कुछ टुकड़े भी फेंके। उन कागजों पर ‘सर तन से जुदा’ (सिर काटने का संदर्भ) लिखा था।”