नयी दिल्ली। 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने शनिवार को कहा कि आयोग ने करों में राज्यों की हिस्सेदारी पर निर्णय लेते समय निरंतरता और अनुमन्यता को चुना। इसी कारण कुल पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत बनाए रखा गया है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) द्वारा आयोजित एक वेबिनार में सिंह ने कहा कि इससे पहले प्रत्येक वित्त आयोग ने कुछ हद तक राज्यों के हिस्से की मात्रा में वृद्धि की है, लेकिन 15वें वित्त आयोग ने कोविड-19 के चलते केंद्र और राज्यों दोनों के राजस्व में कमी को ध्यान में रखते हुए सभी तरह के विकल्पों पर गौर किया। राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कुल कर राजस्व में विभाजनीय राजस्व का हिस्सा संकुचित होता जा रहा है क्यों कि सकल कर राजस्व में उपकर और अधिभार घटक बढ़ रहा है। 15 वें वित्त आयोग ने सिफारिश की है कि राज्यों को 2021-22 से 2025-26 की अवधि के दौरान केंद्र के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत दिया जाएगा। यह 14वें वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंसा के ही स्तर पर है। आयोग के अनुसार, 5 साल की अवधि के लिये सकल कर राजस्व (जीटीआर) 135.2 लाख करोड़ रुपए होने की उम्मीद है। उसमें से, विभाज्य पूल का अनुमान 103 लाख करोड़ रुपए है। विभाज्य पूल में राज्यों का अनुमानित हिस्सा 2021-26 अवधि के लिए 42.2 लाख करोड़ रुपए है। 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट दो फरवरी को संसद में पेश की गई थी। श्री सिंह ने कहा कि प्रत्येक वित्त आयोग ने विभाजन पूल के प्रतिशत के रूप में राज्यों के हिस्से की कुल राशि में कुछ वृद्धि की है। उन्होंने कहा, हमारे पास इस चलन को जारी रखने का एक विकल्प था, हमारे पास इस विचलन को कुछ हद तक बढ़ाने का एक विकल्प था। हमारे पास केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति में संकुचन को देखते हुए इस हिस्से में कुछ कमी करने का भी विकल्प था।