पटना

पटना: विधानसभा में शिक्षा मंत्री की घोषणा-डेढ लाख शिक्षकों की नियुक्ति जल्द


      • उर्दू मातृभाषा, कोई कंफ्यूजन नहीं, भ्रम फैलाया जा रहा है
      • निजी विद्यालयों में कोरोना काल की फीस वसलूने पर रोक नहीं

(आज समाचार सेवा)

पटना। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को माले के मनोज मंजिल के तारांकित प्रश्न के जवाब में बताया कि राज्य में सवा लाख शिक्षकों की नियुक्ति जल्द की जायेगी। छठे चरण के एसटीइटी परीक्षा के परीक्षाफल जारी करने पर रोक है। सरकार ने कोर्ट में आइए फाइल कर रिजल्ट जारी करते हुए नियुक्ति करने की अनुमति मांगी है। उम्मीद है कि पांच अप्रैल को हाइ कोर्ट से अनुमति मिल जायेगी। इसके बाद छठे चरण की एसटीइटी उत्तीण सवा लाख एवं सातवें चरण की एसटीइटी के उत्तीण ३७ हजार अभ्यर्थियों की नियुक्ति शिक्षक के रूप में की जायेगी।

एआइएमएम के अख्तारुल इमान के सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य में मैट्रिक की परीक्षा के पाठ्यक्रम में उर्दू विषय को अनिवार्य की श्रेणी में रखा गया है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। मैट्रिक परीक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम में मातृभाषा के विषयों यथा हिंन्दी उर्दृ, बंगला एवं मैथिली और द्वितीय राजभाषा के विषयों यथा संस्कृत, हिंदी, अरबी, परसियन एवं भोजपुरी की परीक्षा ली जाती है। उक्त व्यवस्था के अनुरूप समिति द्वारा विगत वर्षों से मैट्रिक की परीक्षा का आयोजन करती आ रही है और भविष्य में भी करेगी।

हालांकि अख्तरुल इमान ने कहा कि शिक्षा विभाग के पत्र संख्या ७३३ दिनांक १५ मई २०२० से यह कंफ्यूजन की स्थिति उत्पन्न हुई है। क्या सरकार उस पत्र को वापस लेगी। मंत्री ने कहा कि ऐसा कोई पत्र जारी नहीं हुआ है। अगर आपके पास पत्र है तो उसे उपलब्ध करा दें। इसके बाद हम उसे वापस ले लेंगे। माले के अमरजीत कुशवाहा के सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने सदन को बताया कि राज्याधीन सेवाओं में प्रोन्नति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है। इसके चलते न तो विभागीय प्रोन्नति समिति का गठन हो रहा है और ना ही किसी को प्रोन्नति दी जा रही है। अगले आदेश तक सभी प्रकार की प्रोन्नतियां बाधित रहेगी।

राजद के भाई वीरेंद्र के अल्पसूचित सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि निजी विद्यालयों का संचालन प्रबंधन द्वारा अर्जित किये जाने वाले आंतरिक श्रोत से होता है, जबकि सरकारी स्कूलों में वर्ग एक से आठ तक के बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाती है। सरकार ने २०१९ में एक अधिनियम बनाकर स्कूल फीस नियंत्रण रखने का निर्णय लिया है, परंतु शुल्क माफ करने का प्रावधान नहीं। अगर सदन सहमत हो तो सरकार इस बारे में अधिनियम बनाने पर सरकार विचार करेगी।

वर्तमान नियम के तहत निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा वसूल की गयी राशि अभिभावक को लौटाना संभव नहीं है। पढ़ाई नहीं तो फीस नहीं लगना चाहिए यह माननीय सदस्य का विचार हो सकता, परंतु निजी विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि कोरोना अवधि में ऑन लाइन पढ़ाई समेत अन्य सुविधायें दी गयी है ऐसे में फीस वसूली पर रोक उचित नहीं। यह पूरे राज्य से संबंधित विषय है, सरकार की तरफ से क्या किया जायेगा यह हम देखें।

आनंद शंकर सिंह समेत अन्य द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण सूचना के जवाब में शिक्षा मंत्री विजय कुमार सिंह ने सदन को बताया कि समग्र विद्यालय अनुदान राशि का अंतरण विद्यालयों को करने का प्रावधान है। इसमें केंद्र सरकार की ६० प्रतिशत औ राज्य सरकार की ४० प्रतिशत हिस्सेदारी रहती है। २०१८-१९, २०१९-२० एवं २०२०-२१ के लिए क्रमश. ६६३८४, ४५६४० एवं १२४४९ विद्यालयों में राशि अंतरित की गयी है। नियम के अनुसार उपयोगिता प्रमाण मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष के लिए राशि अंतरित की जाती है।

उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष विधायक होते हैं। उन्हें यह जानकारी रहनी चाहिए। जैसा कि बताया जा रहा है उन्हें कोई जानकारी नहीं है। सरकार जल्द ही सभी विद्यालयों के प्रबंध समिति के सचिव को विस्तृत दिशा निर्देश जारी करेगी।