बेगूसराय (आससे)। मूल्यांकन केंद्र पर बिना प्रतिनियुक्ति के कॉपी जांच मामले में एक नया मोड़ आया है बताते चलें कि जिला पदाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा ने उक्त मामले की जांच के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत परवीन को 3 सदस्य टीम के साथ जांच करने को कहा था।
इसी मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी एसबीएसएस कॉलेज केंद्र पर 20 मार्च को पहुंचकर जांच की जांच के क्रम में दोषी पाए गए पर परीक्षा अधिनियम 1981 के तहत कार्रवाई करने और 2 दिनों के अंदर स्पस्टीकरण देने की बात कही है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिरकार इन पाँच दोषी के अलावे क्या कोई और दोषी नहीं है। जब परीक्षा मूल्यांकन कार्य के लिए गये थे तो मूल्यांकन केंद्र मुख्य द्वार पर कार्ड और मोबाइल की जांच क्यों नहीं की गई।
अगर जांच की गई होती तो शिक्षक बिना मोबाइल के जाते और जिन शिक्षक का मूल्यांकन कार्य में नाम नहीं था उन्हें जाने नहीं दिया जाता। क्या यह प्रशासनिक चूक नहीं माना जाए। जब गेट पर तैनाती थी तो मूल्यांकन केंद्र पर शिक्षक को सहयोग करने के लिए कैसे पहुंचे? यह सारा सवाल सभी शिक्षकों के बीच उठने लगे हैं। भला हो भी क्यों नहीं जब सारी व्यवस्था थी तो फिर ऐसी चुक क्यों हुई? वही सबसे बड़ा सवाल मूल्यांकन केंद्र निदेशक पर भी उठने लगा है।
इसी को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मूल्यांकन केंद्र निदेशक सह प्राचार्य एसबीएसएस कॉलेज के लक्ष्मण झा को भी दोषी माना है। जिसमें पत्र प्रेषित कर 2 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा है। जांच के क्रम में यह पाया गया कि मूल्यांकन केंद्र निदेशक लक्ष्मण झा, रंजीत कुमार सुधांशु, एस एएस उच्च विद्यालय बलिया के प्रभारी प्रधान परीक्षक के द्वारा अपने सहयोग हेतु अपने विद्यालय के शिक्षक हितेश कुमार राजकीयकृत एसएएस उच्च विद्यालय बलिया से मार्क्स पोस्टिंग कार्य हेतु सहयोग किया गया।
जबकि मूल्यांकन केंद्र पर एमपीपी की प्रतिनियुक्ति की गई थी एवं इस घटना का वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है की कैसे सहयोग किया गया। क्या इस की जानकारी मूल्यांकन निदेशक को नहीं था। इस लापरवाही को बरतने को लेकर क्यों नहीं आप के विरुद्ध कार्रवाई के लिए भेजा जाए।
वही परीक्षा संचालन अधिनियम 1981 के सुसंगत धाराओं के अंतर्गत गणित विषय के परीक्षक रंजीत कुमार सुधांशु एवं मुख्य परीक्षक अजीत कुमार राजकीयकृत लक्ष्मी नारायण उच्च विद्यालय गढ़पुरा,एवं वीडियो वायरल के मामले को लेकर मोहम्मद सईबउद्दीन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है बताते चलें कि आज हिंदी दैनिक अखबार ने 19 मार्च को अपने पोर्टल वेब एवं 20 मार्च को दैनिक हिंदी अखबार में प्रकाशित खबर को लेकर चर्चा बाजार गर्म रहा 19 मार्च की शाम से ही इस खबर को लेकर विभाग में गहमागहमी का माहौल रहा और बैठकों की दौड़ भी शुरू हो गयी थी।
और, 20 मार्च को मूल्यांकन केंद्र पर जिला शिक्षा पदाधिकारी के नेतृत्व में जांच किया गया था। वही सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि जिस कमरे में यह मूल्यांकन कार्य हो रहा था। तो अन्य शिक्षक जो मूल्यांकन कार्य कर रहे थे क्या उन्हें यह पता नहीं था। अगर पता था तो फिर विभाग को क्यों नहीं सूचित किया गया था। क्या अन्य शिक्षक की भी इसमें संलिप्तता थी?
इस तरह के तमाम सवाल उठना लाजमी है अगर परीक्षक अपने गले में आई कार्ड लगाए हुए थे। तो बिना आई कार्ड के हितेश कुमार कैसे प्रवेश किए। इसकी भी जांच होनी चाहिए सीसीटीवी फुटेज को सही तरीके से खागाला जाए तो पता चलेगा कि हितेश कुमार कितने दिन मूल्यांकन केंद्र पर गए थे। और, कितने शिक्षकों के पास मोबाइल थे। इसकी भी जांच होनी चाहिए।