पटना

बेगूसराय: कई विद्यालय प्रधान पर होगी प्राथमिकी दर्ज, विद्यालय विकास मद में खर्च किए गए करोड़ो रूपये का ब्यौरा पंजी उपलब्ध नहीं


बेगूसराय (आससे)। सर रोकड़ पंजी ही नहीं है मेरे पास पूर्व प्रधान ने खर्च का ब्यौरा ही हस्तगत नहीं कराया, कहां से लाए पुराने हिसाब किताब। उक्त शब्द जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण को बीपी इंटर स्कूल में आयोजित बैठक के दौरान सुनने को मिली।

बताते चलें कि लोकायुक्त बिहार पटना में संचालित विषय अंकित वाद से संबंधित है। जो प्रधान आहूत बैठक में 39 लाख 50 हजार रुपए की खर्च का ब्यौरा उपलब्ध कराना है लोकायुक्त ने उक्त राशि के नियमानुसार खर्च हुई है अथवा नहीं की जांच हेतु प्रासंगिक पत्र के द्वारा गठित त्रिस्तरीय जांच कमेटी के समक्ष उपस्थित किया जाना है। सभी रोकड़ पंजी वित्तीय वर्ष 2005-06 से अद्यतन तक व्यय की गई राशि से संबंधित प्रतिवेदन विहित प्रपत्र में तैयार कर कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे।

बताते चलें कि जिले के 84 उच्च विद्यालयों को फेज वाइज प्लस टू में उत्क्रमित किया गया। जिसको लेकर प्रत्येक विद्यालय को 39 लाख 50 हजार की राशि आवंटित की गई थी। लेकिन एक दशक बाद विभाग ने खर्च की गई राशि का ब्यौरा मांगना शुरू कर दिया है। मांगने के पीछे कारण है कि लोकायुक्त ने तल्ख टिप्पणी करते हुए शिक्षा विभाग से खर्च का ब्यौरा मांगा है। इसी को लेकर सभी विद्यालय प्रधान से खर्च का ब्यौरा मांगा है।

इसी को लेकर खर्च की गई राशि का विवरण जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत परवीन ने  मांग की है। कुछ ऐसे विद्यालय हैं जहां के प्रधान अवकाश ग्रहण कर चुके हैं। तो वहीं कई विद्यालय प्रधान ने अभी तक खर्च का हिसाब किताब का ब्यौरा वर्तमान प्रधान को हस्त गत नहीं कराया गया है।

बताते चलें कि ठीक भाई उत्क्रमित हुए प्लस 2 विद्यालयों में 40 हजार खेल विकास मद के लिए पुस्तकालय मद में 2 लाख जिम मद में 1 लाख 60 हजार, बेंच डेस्क में खर्च के लिए 6लाख 50 हजार प्रयोगशाला के लिए 3लाख एवं भवन निर्माण मद में 26 लाख का आवंटन किया गया था। जिसमें कुछ विद्यालय ने राशि वापस भी कर दी है।

वहीं कई ऐसे विद्यालय हैं जिनकी प्रयोगशाला धूल फांक रही है। लेकिन छात्र प्रयोगशाला से वंचित रह रहे हैं। तो यही हाल पुस्तकालय का भी बना हुआ है। जिसमें कहानी की ज्यादातर पुस्तक ही खरीद की गई थी। जबकि छात्र-छात्राओं के लिए विषय वस्तु से संबंधित पुस्तकों की खरीददारी करनी थी और जिन विद्यालयों में जिम का समान खरीदा भी गया तो उन विद्यालय में जिम का सामान उपलब्ध है या फिर गायब है। इसकी भी जांच होनी चाहिए वहीं कुछ विद्यालयों में तो जिम के सामान भी धूल फांक रहे हैं।

आखिरकार इन हालात के पीछे कौन जिम्मेवार हैं? कौन विद्यालय प्रधान के हाथ राशि उपलब्ध कराई गई कि विद्यालय का आप विकास करेंगे उन्होंने ही विकास पर बट्टा लगाने का कार्य किया है। वही कुछ विद्यालय में सराहनीय कदम भी उठाए हैं जिसे नकारा नहीं जा सकता है अगर विद्यालय के विकास मद में खर्च किया गया है तो उसकी खर्च पंजी जरूर होगी। या फिर राशि का दुरुपयोग किया गया होगा।

इसी संदर्भ में सभी विद्यालय प्रधानों से रोकड़ पंजी की मांग की गई है। जिसमें कुछ शिक्षक पूर्व के विद्यालय प्रधान पर आरोप लगाया कि उन्होंने रोकड़ पंजी हस्त गत नहीं कराए हैं फिलहाल उक्त मामले लोकायुक्त पटना में चल रहे हैं।उक्त बैठक में डीपीओ  माध्यमिक भी उपस्थित थे।