पटना

पटना: अवर शिक्षा सेवा के नवनियुक्त अभ्यर्थियों को 4 मार्च, 91 से परिणामी लाभ


शिक्षा विभाग ने पुराने आदेश में किया संशोधन

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। अवर शिक्षा सेवा (प्राथमिक शाखा) संवर्ग में नवनियुक्त अभ्यर्थियों को चार फरवरी, 1991 के बजाय चार मार्च, 1991 से परिणामी लाभ मिलेगा। इससे संबंधित संकल्प शिक्षा विभाग ने जारी किया है। इसके मुताबिक विभागीय संकल्प संख्या 1133 (20 दिसंबर, 2016) के समरूप लाभ हेतु सीडब्ल्यूसेजी नम्बर-6562/2017 कामेन्द्र कुमार कामेश बनाम बिहार राज्य एवं अन्य द्वारा वाद में 21 दिसंबर, 2017 को पारित आदेश की समीक्षा की गयी।

इसमें पाया गया कि अवर शिक्षा सेवा (प्राथमिक शाखा) संवर्ग के पदों पर सीधी नियुक्ति हेतु अवर सेवा चयन पर्षद द्वारा प्रकाशित विज्ञापन संख्या 05/88 के आलोक में नियुक्ति हेतु सारी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के उपरांत तत्कालीन अवर सेवा चयन पर्षद की अनुशंसा के आलोक में 439 आरक्षित  कोटि तथा 311 सामान्य कोटि अर्थात कुल 750 अभ्यर्थियों की सीधी नियुक्ति अवर शिक्षा सेवा (प्राथमिक शाखा) संवर्ग के रिक्त पदों के विरुद्ध की गयी।

इस नियुक्ति के विरुद्ध सामान्य कोटि के कतिपय उम्मीदवारों द्वारा पुरानी आरक्षण प्रणाली को आधार बनाते हुए पटना उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूसेजी संख्या 454/92 तथा 6539/91 दायर की गयी। इसमें उच्च न्यायालय द्वारा 16 अक्तूबर, 2009 को पारित आदेश में समानुपातिक रूप से 128 सामान्य कोटि के अभ्यर्थियों को नियुक्त करने का आदेश दिया गया।

साथ ही, सभी नवनियुक्त कर्मियों को उनके मेधा क्रम के अनुसार वरीयता एवं सभी परिणामी लाभ देने का आदेश पारित किया गया। इसके विरुद्ध विभाग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी संख्या सीसी 7350-7351/2010 दायर की गयी, जिसे  सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।

इसके अनुपालन हेतु वादियों द्वारा पटना उच्च न्यायालय में अवमाननावाद संख्या-1492/2012 हरेंद्र कुमार दूबे एवं अन्य बनाम राज्य सरकार एवं अन्य दायर किया गया, जिसमें 26 अक्तूबर, 2016 को पारित आदेश में सीडब्ल्यूसेजी संख्या 454/92 तथा 6539/91 में पारित आदेश का अनुपालन पूर्ण रूप से करने का आदेश पारित किया गया।

सीडब्ल्यूसेजी संख्या 454/92 तथा 6539/91 में पारित आदेश तथा अवमाननावाद संख्या-1492/2012 पारित न्यायादेश के आलोक में अवर सेवा चयन पर्षद के विज्ञापन संख्या 05/88 के तहत बिहार लोक सेवा आयोग से अवर शिक्षा सेवा (प्राथमिक शाखा) संवर्ग के पद पर नियुक्ति हेतु प्राप्त अनुशंसा के आलोक में नवनियुक्त अभ्यर्थियों को चार फरवरी, 1991 को इस संवर्ग में नियुक्त पदाधिकारियों के सापेक्ष चार फरवरी, 1991 से उनके योगदान की तिथि तक उनके अकार्यरत अवधि का वेतनादि के भुगतान हेतु (इस अवधि के लिए पूर्व में किये गये सेवा में प्राप्त वेतनादि को सामंजित करते हुए) सहित कनीय पदाधिकारियों के सापेक्ष इन्हें प्रथम एसीपी का लाभ विभागीय संकल्प संख्या 1133 (20 दिसंबर, 2016) द्वारा प्रदान किया गया।

समीक्षा के क्रम में पाया गया कि विज्ञापन संख्या 05/88 के तहत चयनित अभ्यर्थियों को अधिसूचना संख्या-115 (चार मार्च, 1991) द्वारा 31 मार्च, 1991 तक अपने पदस्थापित स्थल पर योगदान करने हेतु आदेश निर्गत किया गया। अर्थात उक्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति तिथि चार मार्च, 1991 अथवा चार मार्च, 1991 के बाद हो सकती है।

ऐसे में एमजेसी नम्बर 1492/2012 में उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में संकल्प संख्या 1133 (20 दिसंबर, 2016) द्वारा नवनियुक्त अभ्यर्थियों की नियुक्ति तिथि चार फरवरी, 1991 मान कर इस तिथि से परिणामी लाभ देना न्यायसंगत नहीं प्रतीत होने के मद्देनजर नवनियुक्त अभ्यर्थियों को चार फरवरी, 1991 के बजाय चार मार्च, 1991 से परिणामी लाभ देने का निर्णय लिया गया है।