देशमें कोरोना वायरसके कहरने रौद्र रूप धारण कर लिया है। हालात निरन्तर गम्भीर होते जा रहे हैं। गुरुवारको देशमें पहली बार संक्रमणके तीन लाखसे अधिक नये मामले आये, जो अबतक सर्वाधिक आंकड़ा है। लगातार पांचवें दिन देशमें ढाई लाखसे अधिक संक्रमणके नये मामले दर्ज हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालयके आंकड़ोंके अनुसार देशमें पिछले २४ घण्टेके दौरान तीन लाख १४ हजार ८३५ नये मामले दर्ज किये गये, जिन्हें मिलाकर कुल संक्रमितोंकी संख्या एक करोड़ ५९ लाखसे ऊपर पहुंच गयी है। इस अवधिमें २१०४ लोगोंकी मृत्यु भी हुई। मृतकोंकी भी यह सर्वाधिक संख्या है। वायरसके विभिन्न म्यूटेशन और वेरिएण्टसे जूझते भारतमें उपचाराधीन मरीजोंकी भी संख्या बढ़ रही है। पूरे विश्वमें एक दिनमें सबसे अधिक नये मामले दर्ज करते हुए भारत सबसे आगे निकल गया है। मरीजोंके उपचारमें अनेक बाधाएं आ रही हैं। आवश्यक संसाधनोंका संकट बना हुआ है। दवाओं और आक्सीजनकी घोर किल्लत है। आक्सीजनको लेकर राज्योंमें जंग छिड़ गयी है। इससे लोगोंमें भय और दहशतका माहौल बन गया है। इस भयसे उबरने और आत्मशक्तिसे स्थितिका सामना करनेकी जरूरत है। मनोबलमें कमी नहीं होनी चाहिए और प्रभावित परिवारोंको सकारात्मक सोचके साथ रहनेकी जरूरत है। यह सत्य है कि स्थिति काफी गम्भीर है। १४६ जिलोंमें संक्रमण दर १५ प्रतिशतसे अधिक है। कोरोनाका हर उम्रवालोंपर प्रभाव पिछले वर्षकी भांति है। दूसरी लहर अधिक खतरनाक है। इसलिए हर स्तरपर सतर्कता जरूरी है। जिन जिलोंमें सावधानी बरती जा रही है वहां संक्रमण कम है। ३०९ जिलोंमें संक्रमण दर पांच प्रतिशतसे कम है, जबकि २७४ जिलोंमें यह दर पांचसे १५ प्रतिशतके बीच है। दूसरी लहरके ८५ प्रतिशत संक्रमितोंमें गम्भीर लक्षण नहीं है, जो राहतकी बात है। लेकिन भारतमें कोरोनाके ट्रिपल म्यूटेण्टने चिन्ता बढ़ा दी है। इसे गम्भीर चुनौतीके रूपमें स्वीकार करना होगा। इसके लिए टीकाकरणका अभियान भी तेज करना होगा और सभी केन्द्रोंपर इसकी पर्याप्त उपलब्धता आवश्यक है। कोरोनाके खिलाफ जंगमें आक्सीजनकी भी पर्याप्त उपलब्धता जरूरी है। देशमें आवश्यकताके अनुरूप आक्सीजन आयात किया जाना चाहिए। साथ ही देशमें आक्सीजनके प्लाण्ट भी लगाये जाय। जीवन रक्षाके लिए यह अत्यन्त आवश्यक है।
अस्पतालोंकी सुरक्षा जरूरी
महाराष्टï्रमें नासिकके कोविड अस्पतालमें आक्सीजन लीक होनेके कारण आपूर्ति बाधित होनेसे वेंटिलेटरसे सांस ले रहे कोरोनाके २२ मरीजोंकी घुट-घुटकर हुई मौत अत्यन्त दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इस दर्दनाक हादसेके वक्त अस्पतालमें १५० मरीज भर्ती थे जिनमें २३ वेंटिलेटरपर थे। मृतकोंमें ११ पुरुष और ११ महिलाएं शामिल हैं जबकि ३५ मरीजोंकी हालत अब भी चिन्ताजनक है। नासिककी यह त्रासदी कोई पहली घटना नहीं है। इसके पूर्व भी गुजरात, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़की राजधानियोंके कोविड अस्पतालोंमें हुई दुर्घटनाओंमें मरीजोंकी मौत हो चुकी है। पूर्वकी हृदयविदारक घटनाओंसे राज्य सरकारें और अस्पताल प्रबन्धनने कोई सबक नहीं लिया जिसका नतीजा अस्पतालोंकी लापरवाहीसे मरीजोंका असामयिक मौतका अन्तहीन सिलसिला अबतक जारी है और शायद आगे भी इस तरहकी दिल दहला देनेवाले हादसे होते रहेंगे। जैसा कि हर बड़ी घटनाओंके बाद होता है, इस घटनामें भी महाराष्टï्रके मुख्य मन्त्री उद्धव ठाकरेने भी मृतकोंके परिजनोंको पांच-पांच लाख रुपयेकी सहायता और घटनाकी उच्चस्तरीय जांचके आदेश दिये हैं, जो मात्र औरपचारिकतासे ज्यादा महत्व नहीं रखता है। मुआवजा और उच्चस्तरीय जांचसे इस तरहके हादसोंको नहीं रोका जा सकता। अस्पतालोंकी दुव्र्यवस्था और सुरक्षाकी अनदेखी राज्य सरकारोंके समक्ष बड़ी चुनौती है। बड़ा प्रश्न यह है कि ऐसी घटनाओंका जिम्मेदार कौन है। उसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। पीडि़तोंको मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए। पूरे देशके अस्पतालोंकी समय-समयपर आडिट होनी चाहिए। सुरक्षा व्यवस्थापर विशेष ध्यान देनेकी जरूरत है। इसके लिए अस्पताल प्रबन्धनको आगे आना होगा तभी इस तरहकी व्यथित करनेवाली घटनाओंको रोका जा सकता है।