पटना (विधि सं)। पटना हाई कोर्ट ने बुधवार को सूबे में कोरोना संक्रमण के मामले पर देर शाम तक सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य के अस्पतालों में कम मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति किया जाना परेशान करने वाली बात है। न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि जबकि पहले भी ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर चिंता व्यक्त की जा चुकी है। खंडपीठ ने आगामी 10 मई तक लाइसेंस आदि की सारी औपचारिकता पूरी करते हुए मेदांता अस्पताल को कम से कम पचास बेड वाला कोविड अस्पताल बनाने को कहा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को खाली जगहों को यथा शीघ्र भरने को भी कहा है। खंडपीठ ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने बिहार के लिए 194 मैट्रिक टन ऑक्सीजन का कोटा तय किया है फिर भी राज्य सरकार 90 मैट्रिक टन ही प्रति दिन ले पा रही है। अस्पताल, ऑक्सीजन की कमी की वजह से कोविड मरीजों को नहीं भर्ती कर पा रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार के इस रुख पर नाराजगी जताया कि सभी अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन है।
आईजीआईएमएस के निदेशक ने बताया कि उनके यहां सिर्फ 611 ऑक्सिजन सिलेंडर है और ऑक्सीजन आपूर्ति में दिक्कत आ रही है। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इसे कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल घोषित करेंगे। फिर, राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है कि आईजीआईएमएस को कोविड हॉस्पिटल घोषित किया जाएगा। खंडपीठ ने केंद्र सरकार को सभी संभव उपाय करने को कहा है ताकि राज्य को 194 मैट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा सके।
सुनवाई के दौरान आईजीआईएमएस में ऑक्सीजन की कमी, पीएमसीएच में मानव संसाधन की कमी समेत अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘जिस तरह का आपका व्यवहार है, यदि बेड घटा दीजिए तो कोई डिमांड ही नहीं है, फिर ऑक्सीजन की जरूरत ही नहीं है। ’ कोर्ट ने यह भी कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को कैसे ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित हो, इसके लिए सरकार के पास कोई योजना या रोड मैप भी नहीं है। इसके साथ ही खंडपीठ उक्त मामले पर आगे की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रखेगी।