कोरोना कालमें पूरी दुनियाकी अर्थव्यवस्थापर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है लेकिन भारतकी अर्थव्यवस्था जिस प्रकार पुन: पटरीपर आ गयी है उससे विदेशी निवेशकोंका भारतपर भरोसा बढ़ गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण शेयर बाजारोंमें जारी तेजीके दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारी निवेश जारी रखना है। डिपाजिटरी आंकड़ोंके अनुसार एफपीआईने विगत दिसम्बर महीनेमें ६८,५५८ करोड़का निवेश किया। लगातार तीन महीने एफपीआईने भारतीय शेयर बाजारोंमें खरीदारीकी भूमिका निभायी। यह इस बातका संकेत है कि वैश्विक निवेशक तेजीसे उभरते बाजारोंमें निवेश बढ़ा रहे हैं। भारत इस निवेशका बड़ा हिस्सा प्राप्त करनेमें सफल रहा है और इसका क्रम आगे भी बना रह सकता है, क्योंकि इन्हीं खरीदारोंके चलते सोमवारको मुम्बई शेयर बाजारका संवेदी सूचकांक नयी ऊंचाईको स्पर्श करते हुए ४८ हजारके पार पहुंच गया। इससे स्पष्टï होता है कि नये वर्षमें भी शेयर बाजारमें तेजी बनी रहेगी। सोमवारको कारोबारी सत्रके दौरान संवेदी सूचकांक ४८,१६८ अंकपर पहुंच गया लेकिन यह ज्यादा देरतक नहीं टिक पाया। विदेशी निवेशकोंने दिसम्बरमें भारतीय शेयर बाजारमें ६२,०१६ करोड़का रिकार्ड निवेश किया था। बाण्ड्समें ६५४२ करोड़ रुपये लगाये गये। इक्विटी सेगमेण्टमें भी उनका सर्वाधिक निवेश हुआ है। नवम्बर और अक्तूबरमें भी एफपीआईने काफी निवेश किया था। एफपीआईने बड़ी कम्पनियोंमें ही धन लगाया था लेकिन इस बातकी भी सम्भावना है कि बड़ी कम्पनियोंसे धन निकालकर वे छोटी कम्पनियोंकी ओर रुख कर सकते हैं। इससे छोटी कम्पनियोंके शेयरोंमें सुधारका दौर शुरू हो सकता है। कोरोना टीकेको विकसित करनेमें भारतको मिली सफलताका भी एफपीआईपर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और भारतके प्रति उनका भरोसा भी बढ़ा है। विश्वके कुछ देश भारतीय टीके खरीदनेके लिए इच्छुक हैं। यदि यह टीका अन्य देशोंमें जाता है तो इससे भारतकी अर्थव्यवस्थापर अच्छा प्रभाव पडऩा स्वाभाविक है। जो भी हो, भारतीय शेयर बाजारोंमें आयी तेजीका लाभ भारतके खुदरा निवेशक अवश्य उठा सकते हैं लेकिन खरीदारीके मामलेमें उन्हें काफी सतर्क रहनेकी जरूरत है। छोटे निवेशक खरीदारीसे बचें और जिनके पास तेजीवाली कम्पनियोंके शेयर हैं उससे मुनाफा वसूलीके प्रति वे सोच सकते हैं। इतना तय है कि नये वर्षमें शेयर बाजारमें तेजी अवश्य बनी रहेगी लेकिन बीच-बीचमें इसमें सामान्य गिरावट भी आ सकती है।
जानलेवा लापरवाही
गाजियाबादके मुरादनगरमें श्मशान घाटके गलियारेकी छत गिरनेसे २३ लोगोंकी मौत अत्यन्त दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। इस घटनामें ३० से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पतालोंमें भर्ती किया गया है जिनमें कईकी हालत चिन्ताजनक बनी हुई है। यह दर्दनाक हादसा रविवारको उस समय हुआ जब अन्तिम संस्कारमें शामिल करीब ५० लोग बारिशसे बचनेके लिए नवनिर्मित ७० फुट लम्बे गलियारेमें खड़े थे। लोकार्पणकी आसमें ५५ लाख रुपयेकी लागतसे निर्मित गलियारेका मात्र १५ दिनमें हल्की बारिशमें ढह जाना सरकारी निर्माणमें भ्रष्टïाचारकी जड़को उजागर करता है। इस हादसेके लिए नगरपालिका और प्रशासनकी लापरवाही पूरी तरह जिम्मेदार है। ठेकेदारने जब निर्माण कार्य शुरू किया उसी समय स्थानीय लोगोंने निर्माण कार्यमें घटिया सामग्रीके प्रयोगकी शिकायत नगरपालिका और प्रशासनके अधिकारियोंसे की थी। घटिया सामग्रीका आरोप लगाकर पूर्व पालिकाध्यक्षके पतिने निर्माण कार्य भी रोका था लेकिन इस ओरसे अधिकारियोंकी उदासीनता बनी रही। यदि समय रहते शिकायतोंकी जांच और समुचित काररवाई की गयी होती तो २३ लोगोंकी जान बचायी जा सकती थी। जिम्मेदार अधिकारियोंकी भूमिकाकी जांच होनी चाहिए। उत्तर प्रदेशके मुख्य मन्त्री योगी आदित्यनाथने मृतकोंके परिजनोंको दो-दो लाख रुपये सहायता देने और घायलोंके उचित इलाजका निर्देश दिये हैं। मण्डलायुक्तके निर्देशपर मुरादनगर पालिकाकी अधिशासी अधिकारी निहारिका चौहान, ठेकेदार अजय त्यागी, जेई सीपी सिंह, सुपरवाइजर आशीष समेत अन्यपर गैरइरादतन हत्या, भ्रष्टïाचार, लापरवाही समेत अन्य धाराओंमें मुकदमा दर्ज हुआ है। इनमें तीनों अधिकारी गिरफ्तार कर लिये गये हैं, जबकि ठेकेदार फरार है। लेकिन इससे होगा क्या। कानूनकी लम्बी प्रक्रियाके बाद सभी आरोपी या तो मुक्त हो जायंगे या साधारण रूपसे दण्डित होंगे। ऐसे हादसोंको रोकनेके लिए सख्त कदम उठानेकी जरूरत है। जवाबदेह और जिम्मेदार अधिकारियोंको तत्काल प्रभावसे सेवामुक्त करते हुए ठेकेदारको काली सूचीमें डाला जाना चाहिए जो दूसरोंके लिए सबक बने।