संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से जारी बयान में सरकार पर अमानवीय व्यवहार के आरोप लगाए गए हैं. संगठन ने कहा. ‘…किसान आंदोलन में 470 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है. कई आंदोलनकारियों को अपनी नौकरियां, पढ़ाई एवं दूसरे काम छोड़ने पड़े. और सरकार अपने नागरिकों, अन्नदाताओं के प्रति ही कितना अमानवीय एवं लापरवाह रुख दिखा रही है.’
बयान में आगे कहा गया है, ‘सरकार अगर अपने किसानों की चिंता करती और उनका कल्याण चाहती तो उसे किसानों से वार्ता शुरू करनी चाहिए और उनकी मांगें माननी चाहिए.’ इस दौरान प्रदर्शनकारियों की तरफ से सरकार को चेतावनी गई है दी है कि ‘किसानों के सब्र का इम्तिहान न लें.’ दिल्ली की सिंघु, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर किसान लंबे समय से विरोध जता रहे हैं. इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं.
राजधानी में बुधवार को हुई बारिश को लेकर संगठन ने कहा, ‘बारिश की वजह से खाने और रहने के लिहाज से हालात अस्त-व्यस्त हो गए हैं. धरना स्थल के कई हिस्सों में सड़कें बारिश के पानी से भर गई हैं.’ संगठन ने दावा किया है कि बीते 6 महीने से किसान बगैर सरकारी सुविधाओं और मदद के इन हालातों का सामना कर रहे हैं.
नए कृषि कानूनों को लेकर अब तक क्या हुआ
किसान केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों से नाराज हैं. वे लगातार इन कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं. इसके बाद बीते साल सितंबर में किसान संगठनों ने राजधानी की सीमाओं पर प्रदर्शन शुरू किया था. प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सरकार और किसान पक्ष के बीच 11 दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन अभी तक किसी मुद्दे पर ठोस सहमति नहीं बन पाई है.