पटना

बिहारशरीफ: विम्स पावापुरी जल्द ही ऑक्सीजन के मामले में होगा आत्मनिर्भर


      • पहले चरण में एक ऑक्सीजन प्लांट चालू जिससे 60 बेड पर सीधे होगी ऑक्सीजन की आपूर्ति
      • कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पी.के. चौधरी ने बताया कि जल्द ही अस्पताल के पास होगा अपना सभी बेड के लिए ऑक्सीजन प्लांट और स्टोरेज इकाई

बिहारशरीफ (आससे)। विम्स पावापुरी में ऑक्सीजन प्लांट काम करने लगा। मंगलवार को इसका ट्रायल किया गया। कुछ आवश्यक सामग्री की कमी महसूस की गयी, जिसे इंस्टाल कर शुक्रवार को इसे चालू कर दिया जायगा।

विम्स पावापुरी में लगाये गये ऑक्सीजन प्लांट से एक बार में 60 बेड पर सीधे ऑक्सीजन की सामान्य मात्रा की आपूर्ति की जा सकेगी। इसके अलावे कॉलेज परिसर में एक और ऑक्सीजन प्लांट तथा ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक का इंस्टॉलेशन का काम युद्ध स्तर पर जारी है। पावापुरी स्थित मेडिकल कॉलेज में लगाये गये ऑक्सीजन प्लांट से प्रति मिनट तीन सौ लीटर ऑक्सीजन मिलेगी। 12 घंटे में 50 बड़ा सिलिंडर भरा जा सकेगा। बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा इसका निर्माण किया गया है। ऑक्सीजन प्लांट लग जाने के बाद अब विम्स को बाहर से ऑक्सीजन सिलिंडर मंगाने की आवश्यकता नहीं होगी।

ऑक्सीजन प्लांट से क्रिटिकल केयर वार्ड, कोरोनरी केयर यूनिट, रेस्पेरटरी आईसीयू, पीडियेट्रिक आईसीयू और मेडिसिन वार्ड में ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी। हालांकि 500 शैय्या वाले विम्स अस्पताल में पूरी तरह ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए 6000 लीटर प्रति मिनट की दर से ऑक्सीजन की आवश्यकता होगी। विम्स में पीएम केयर फंड से क्रायोजेनिक ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण चल रहा है जो उच्च क्षमता वाला है। इसके चालू हो जाने से यह मेडिकल कॉलेज अस्पताल पूरी तरह ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर हो जायेगा। यहां पर 20 हजार लीटर लिक्विड ऑक्सीजन वाला क्रायोजेनिक टैंक लगाया जा रहा है, जिसमें ऑक्सीजन को स्टोर किया जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर इसे सीधे पाइपलाइन से अस्पताल में बेडों पर ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी। इसके लिए काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।

विम्स के प्राचार्य डॉ. पी.के. चौधरी ने बताया कि स्टोरेज प्लांट के निर्माण के पूर्व ही इस जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसे पहले अस्पताल के पहुंच पथ के लिए लिया गया था, लेकिन इस जमीन पर ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट लगाया जा रहा है। यह अस्पताल की जरूरत थी। फिलहाल बिहार में लिक्विड ऑक्सीजन बनाने का एक भी प्लांट नहीं है। अभी झारखंड के टाटा और बोकारों से ही बिहार में अधिकांश स्थानों पर इसकी आपूर्ति हो रही है। क्रायोजेनिक स्टोरेज तक समय पर लिक्विड ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए लिंडे इंडिया कंपनी लिमिटेड के साथ अगले पांच साल के लिए एग्रीमेंट हुआ है।