चीन और पाकिस्तान भारतके खिलाफ गहरी साजिशको अंजाम देनेकी दिशामें जुट गये हैं लेकिन उन्हें इसमें कोई सफलता मिलनेवाली नहीं है। चीन और पाकिस्तानकी सेनाएं इन दिनों युद्ध जैसी तैयारियोंमें सक्रिय हो गयी हैं। भारतके साथ सामान्य स्थिति बनानेकी आड़में दोनों देशोंकी वायुसेनाएं पूर्वी लद्दाखसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार तिब्बतमें २२ मईसे ही संयुक्त युद्धाभ्यास कर रही हैं। पहले इसे १५ दिनोंके लिए तय किया गया था लेकिन इसकी अवधि बढ़ा दी गयी। दोनों देश हवासे हवामें, जमीनसे हवामें, समुद्रसे हवामें मार करनेवाली मिसाइलों, यूएवी और ड्रोनका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे सामान्य युद्धाभ्यास नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि इस युद्धाभ्याससे पहले चीनकी वायु सेनाके वरिष्ठï अधिकारियोंके दलने पाकिस्तानी वायुसेनाके अधिकारियोंको पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण दिया था। यह कार्य वर्षके प्रारम्भमें ही किया गया था। यह युद्धाभ्यास पूरी तरहसे गलत है, क्योंकि वायुसेनाके विमान ऐसे इलाकोंमें उड़ान नहीं भरते हैं, जहां किसी दूसरे देशके साथ सैन्य तनाव जैसी स्थिति है। भारत और चीनके बीच ऐसे ही तनाव लम्बे समयसे बने हुए हैं। दोनों देशोंके बीच गतिरोधको दूर करनेके लिए कई दौरकी वार्ता हुई, अनेक बिन्दुओंपर सहमति बनी लेकिन उसे अमलमें नहीं लाया गया। इसके विपरीत चीन गलत हरकतोंमें शामिल है। युद्धाभ्यासके लिए तिब्बतको चुना जाना भी साजिशका हिस्सा है। तिब्बतको उसकी भौगोलिक स्थितियोंके कारण चुना गया है, क्योंकि यह पूर्वी लद्दाखसे सटा हुआ है, जहां एक वर्षसे चीन और भारतमें सैन्य तनाव बना हुआ है। यह क्षेत्र पाकिस्तानके भी निकट है। दोनों देश भारतपर दबाव बनानेका प्रयास कर रहे हैं। चीन बंगलादेशके रास्तेसे भारतमें घुसपैठ भी कर रहा है। पश्चिम बंगालके सीमावर्ती मालदा जिलेमें भारत-बंगलादेशकी सीमापर एक चीनी नागरिकको घुसपैठके दौरान भारतीय जवानोंने गिरफ्तार किया है। भारतकी स्थितिपर पूरी नजर है और जम्मू-कश्मीरमें पाकिस्तानके साथ सटी नियंत्रण रेखा और पूर्वी लद्दाखमें चीनके साथ सटी वास्तविक नियंत्रण रेखापर सतर्कता बढ़ा दी गयी है। भारतीय सेनाके जवान निरन्तर निगरानी कर रहे हैं जिससे कि किसी अप्रिय घटनाका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। भारतका कहना है कि सामान्य स्थिति बनानेके लिए पूर्वी लद्दाखमें टकराववाले क्षेत्रोंसे सैनिकोंकी पूर्ण वापसी होनी चाहिए। दोनों पक्ष लम्बित मुद्दोंका त्वरित समाधान निकालें। वैसे भारतकी सैन्य तैयारी मजबूत है। भारतने चीनकी सीमातक सामरिक टनल बना लिया है, जो सेनाके लिए उपयोगी साबित होगा।
उपभोक्ताओंके हितमें
फूड सेफ्टी एण्ड स्टैण्डर्स अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएआई) ने उपभोक्ताओंके हितोंकी रक्षाकी दिशामें महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने पैकेज्ड फूड लेबलपर एफएसएसएआई नम्बर प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। किसी भी फूड बिजनेस आपरेटरका १४ डिजिटका एफएसएसएआई नम्बर उपभोक्ता सर्विस रसीदपर आसानीसे दिखता या उपलब्ध नहीं होता है जिससे उसके लिए किसी फूड बिजनेस आपरेटरकी शिकायत करना मुश्किल हो जाता है। यहांतक नियामकोंके लिए भी शिकायतकी उत्पत्तिका पता लगाना और उसके खिलाफ काररवाई करनेमें भी मुश्किलें आती हैं। ऐसेमें एफएसएसएआईकी सख्ती उचित है। इससे उपभोक्ता किसी विशेष खाद्य व्यवसायके खिलाफ जहां अपनी शिकायत आनलाइन दर्ज करा सकेंगे, वहीं खाद्य पदार्थोंकी गुणवत्तामें सुधार होगा। एफएसएसएआईने आदेशमें लाइसेंसिंग और पंजीकरण अधिकारियोंको इसका व्यापक प्रचार करनेके साथ दो अक्तूबरसे इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करनेका निर्देश दिया है। इसके तहत रेस्टूरेण्ट्स और मिठाईके दुकानदारोंको खाद्य सुरक्षासे सम्बन्धित डिस्प्ले बोर्ड लगाना होगा। यह खुदरा स्टोर जैसे प्रतिष्ठïानोंपर लागू होगा। एफएसएसएआई नम्बरके उल्लेखसे समग्र जागरूकतामें भी सुधार होगा। इसके लिए एफएसएसएआई अपने मौजूदा नियममें संशोधन भी तैयार कर रहा है, जो जल्द जारी कर दिया जायगा। नये नियमोंसे ग्राहकोंको खाद्य पदार्थोंमें किसी तरहकी गड़बड़ीकी शिकायत करनेमें उन्हें आसानी हो जायगी। खान-पानकी वस्तुएं व्यक्तिके स्वास्थ्यपर सीधे असर डालती हैं, इसलिए खाद्य पदार्थोंकी गुणवत्तासे किसी प्रकारका समझौता मानव स्वास्थ्यके खिलाफ है। इससे लोग बीमार पड़ सकते हैं और जान भी संकटमें पड़ सकती है इसलिए एफएसएसएआईका निर्देश सराहनीय और अनुपालनीय है। राज्य सरकारोंको इसको गम्भीरतासे लेते हुए इसका क्रियान्वयन कड़ाईसे सुनिश्चित कराना होगा।