प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने अपनी सरकारकी कार्यशैलीको नयी ऊर्जा और धार देनेके लिए बुधवारको अपने मंत्रिमण्डलमें बड़ा फेरबदल करते हुए उसका विस्तार भी किया है। राष्टï्रपति भवनके अशोक हालमें कोरोना प्रोटोकालका अनुपालन करते हुए ४३ मंत्रियोंको राष्टï्रपति रामनाथ कोविंदने पद और गोपनीयताकी शपथ दिलायी, जिसमें १४ नये मंत्री हैं। अच्छा कार्य करनेवाले राज्य मंत्रियोंको कैबिनेटमंत्री बनाकर उनका उत्साहवर्धन किया गया, जो सराहनीय निर्णय है। प्रधान मंत्री मोदीके दूसरे कार्यकालका यह पहला विस्तार है, जिसकी काफी समयसे प्रतीक्षा की जा रही थी। मंत्रिमण्डल विस्तारमें जहां कुछ नये चेहरोंको महत्व दिया गया वहीं दूसरी ओर जातीय समीकरणको भी साधनेका प्रयास किया गया है। प्रधान मंत्री मोदीकी नयी टीमका समाजशास्त्र भी नया है, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के २७, अनुसूचित जातिके १२, अनुसूचित जन-जातिके आठ, अल्पसंख्यक वर्गके पांचके अतिरिक्त ११ महिलाओंको स्थान दिया गया है। इसके माध्यमसे समाजको सकारात्मक सन्देश देनेका कार्य किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वतन्त्र भारतके इतिहासमें यह पहला अवसर है जब मंत्रिमण्डलमें युवाओंको विशेष महत्व दिया गया है। १४ मंत्रियोंकी आयु ५० वर्षसे कम है और मंत्रिपरिषदकी औसत आयु ५८ वर्ष है। इसके साथ ही अनुभव, उच्च और पेशेवर शिक्षा प्राप्त करनेवालोंको समुचित महत्व दिया गया है। निश्चित रूपसे इसका सरकारके कामकाजपर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और बेहतर परिणामोंकी उम्मीद की जा सकती है। मंत्रिमण्डलमें प्राय: सभी राज्योंको प्रतिनिधित्व देनेकी कोशिश की गयी है जिससे कि इन राज्योंमें सरकारकी महत्वाकांक्षी योजनाओं और विकास कार्योंको गति प्रदान की जा सके, लेकिन उन राज्योंको विशेष महत्व दिया गया है, जहां अगले वर्ष २०२२ में विधानसभाओंके चुनाव होनेवाले हैं। साथ ही २०२४ में होनेवाले लोकसभा चुनावोंको भी ध्यानमें रखा गया है। भारतीय जनता पार्टीके नेतृत्वमें गठित राजगके सहयोगी घटक दलोंको सन्तुष्टï करनेके लिए मंत्रिमण्डलमें उन्हें भी समुचित प्रतिनिधित्व प्रदान करनेका प्रयास किया गया है। जिन सहयोगी दलोंको पिछली बार स्थान नहीं मिल पाया था, उन्हें मजबूतीसे जोडऩेके प्रयाससे राजग और सुदृढ़ होगा। मोदी सरकारने स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम और रोजगार मंत्रालयोंके कार्योंको बेहतर बनानेके लिए नये मंत्रियोंको दायित्व सौंपनेका निर्णय किया है, जो उचित है क्योंकि कोरोना कालमें इन मंत्रालयोंने अपेक्षाके अनुरूप कार्य नहीं किया। ऐसे १२ मंत्रियोंका त्यागपत्र भी बड़ा कदम माना जायगा।
संक्रमणको आमंत्रण
कोरोनाकी विनाशकारी दूसरी लहरके बाद संक्रमण कम होते ही लोगोंका बेपरवाह होकर घूमना संक्रमणको आमंत्रण देना है। लाकडाउन और पाबन्दियोंमें छूट मिलते ही हिल स्टेशनोंपर जिस तरह भीड़ उमड़ी है वह बहुत ही भयावह स्थिति है। शिमला, मनाली, उत्तर प्रदेश एवं अन्य पर्यटन स्थलोंके साथ ही बाजारोंमें भारी भीड़ इस लापरवाहीको बखूबी बयां कर रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने मनाली, शिमला और मसूरी समेत विभिन्न हिल स्टेशनों समेत मुम्बई और दिल्लीके बाजारोंमें पाबन्दियोंपर छूट मिलनेके बाद भीड़की जो तस्वीर पेश की है उससे संक्रमणके फिरसे सक्रिय होनेका खतरा बढ़ता दिख रहा है। कोरोना प्रोटोकालकी जिस तरह धज्जियां उड़ायी जा रही हैं वह कोरोनासे जंग जीतनेकी दिशामें सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकती है। सरकारने मंगलवारको चेताया कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है, लोग यदि सावधानी नहीं बरतेंगे और नियमोंका पालन नहीं करते तो प्रतिबन्धोंमें ढील खत्म कर दी जायगी। लाकडाउन और प्रतिबन्धोंके खत्म किये जानेसे यदि लोग यह समझते हैं कि कोरोना महामारी खत्म हो गयी है तो वे भ्रममें हैं। उन्हें यह समझना होगा कि दूसरी लहर अभी बनी हुई है और तीसरी लहरका खतरा मंडरा रहा है जिसके पहली और दूसरी लहरसे कहीं ज्यादा खतरनाक होनेकी आशंका व्यक्त की जा रही है। संक्रमणके प्रसारको रोकनेके लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसके नियमोंका कड़ाईसे पालन करनेकी जरूरत है। मास्क तो महज दिखावेकी वस्तु बनी हुई है। बहुत कम लोग हैं जो नाकतक मास्क लगाते हैं वरन्ï यह तो मुंह-ठोढ़ीतक सिमटकर रह गयी है जिसका कोई औचित्य नहीं है। कोरोनापर विजय प्राप्त करना है तो प्रोटोकालका सभीको ईमानदारीसे पालन करना होगा।