- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 16 अगस्त को ‘खेला होबे‘ दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया. इस खास अवसर पर फुटबॉल मैच खेले जा रहे हैं. टीएमसी की बातों को जनता तक पहुंचाया जा रहा है. पश्चिम बंगाल के अलावा दूसरे राज्यों में भी ‘खेला होबे‘ दिवस मनाया जा रहा है. दूसरी तरफ बीजेपी ने ‘खेला होबे‘ दिवस को हिंदुओं पर अत्याचार से जोड़कर ममता बनर्जी सरकार पर बड़ा हमला किया है. बीजेपी के मुताबिक ममता बनर्जी का ‘खेला होबे‘ दिवस ‘ हिंदू फोबिक माइंडसेट ‘ से निकला आइडिया है, जो हिंदुओं पर अत्याचार के दौर की याद दिलाता है.
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के अलावा कई राज्यों में ‘खेला होबे‘ दिवस का आयोजन कर रही है. इस नारे को टीएमसी ने बंगाल विधानसभा चुनाव प्रचार में जमकर भुनाया था. खुद ममता बनर्जी चुनावी मंच पर भाषण के दौरान लोगों से ‘खेला होबे‘ का नारा भी लगाती दिखती थी. बंगाल चुनाव के रिजल्ट में प्रचंड बहुमत पाने के बाद टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में हैट्रिक बनाई. इसी बीच ममता बनर्जी ने सीएम का पद संभाला और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों को गोलबंद करने की कोशिश शुरू कर दी. अब, टीएमसी 16 अगस्त को ‘खेला होबे‘ दिवस मना रही है. खास बात यह है कि टीएमसी ने उन राज्यों को टारगेट किया है जहां बीजेपी या उसकी गठबंधन की सरकार है. लेकिन, गुजरात के गोधरा में ‘खेला होबे‘ दिवस मनाने की इजाजत नहीं दी गई है.
टीएमसी के ‘खेला होबे‘ दिवस पर बीजेपी के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष ने ट्वीट किया और गुजरे कल को याद करके सीएम ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की. दिलीप घोष अपने ट्वीट में लिखते हैं- ‘कोलकाता में हिंदू नरसंहार पश्चिम बंगाल के इतिहास का एक काला दिन है. लेफ्ट पार्टियों और कांग्रेस ने साजिश के तहत #BlackDay को हिंदू बंगालियों की यादों से मिटाने की कोशिश की है. 1946 #DirectActionDay‘. दिलीप घोष के ट्वीट ने कहीं ना कहीं 1946 के उस दौर की याद दिलाई है, जब कोलकाता में हिंदुओं पर सबसे बड़ा अत्याचार किया गया था.