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इस बार पहले से अलग होंगे ओलंपिक मेडल,


  • जैतून के फूलों के हार से लेकर पुराने मोबाइल फोन और विद्युत उपकरणों की पुनरावर्तित धातु, ओलंपिक में जीत दर्ज करने पर मिलने वाले पदकों ने भी इन खेलों की तरह लंबा सफर तय किया है।

विद्युत उपकरणों के पुनर्नवीनीकरण से बने और कंचे जैसे दिखने वाले आगामी तोक्यो ओलंपिक के पदक का व्यास 8.5 सेंटीमीटर होगा और इस पर यूनान की जीत की देवी ‘नाइक’ की तस्वीर बनी होगी।

लेकिन पिछले वर्षों के विपरीत इन्हें सोने, चांदी और कांसे (इस मामले में तांबा और जिंक) से तैयार किया गया है जिसे जापान की जनता द्वारा दान में दिए गए 79 हजार टन से अधिक इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन और अन्य छोटे विद्युत उपकरणों से निकाला गया है।

साथ ही इस बार पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से बचाये रखने के लिये खुद ही अपने गले में पदक डालने होंगे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) अध्यक्ष थॉमस बाक ने 339 स्पर्धाओं के पारंपरिक पदक समारोह के लिये हुए ‘बहुत अहम बदलाव’ का खुलासा बुधवार को किया।

बाक ने तोक्यो से ‘कांफ्रेंस कॉल’ पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया को बताया, ”पदकों को गले में डालकर नहीं दिया जायेगा। ” उन्होंने कहा, ”पदक खिलाड़ी को ट्रे में पेश किये जायेंगे और फिर एथलीट पदक लेकर खुद अपने गले में डालेंगे। ”

बाक ने कहा, ”साथ ही यह सुनिश्चित किया जायेगा कि जो भी व्यक्ति ट्रे में पदक रखेगा, वह कीटाणुरहित दस्ताने पहनकर ही इन्हें ट्रे में रखेगा ताकि सुनिश्चित हो कि किसी ने भी पदकों को छुआ नहीं हो। ”