रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। सरकारी आंकड़े के हिसाब से प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों के पेट की ज्वाला शांत करने के लिए 26 जगहों पर सामुदायिक रसोई संचालन की बात कही गई।जबकि धरातल पर मात्र 23 जगहों पर ही बाढ़ पीड़ितों को भोजन परोसा जा रहा है। वैसे तो दो चार जगहों को छोड़ अन्य जगहों पर मीनू का ध्यान रखना मुनासिब नहीं समझा जा रहा है और लगातार खिचड़ी ही खिचड़ी खिलया जा रहा है।बाढ़ विभीषिका झेल रहे लोगों के साथ मरता क्या नहीं करता और डूबते को तिनके का सहारा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
बता दें कि पड़ताल के दौरान सबसे अहम पहलू यह सामने आया कि मानवीय संवेदना को ताड़ ताड़ कर तीन जगहों पर शिक्षकों और हल्का कर्मचारी की अकर्मण्यता सामने आई।जहाँ ये सरकारी मुलाजिम पीड़ितों की मदद करना मुनासिब नहीं समझ रहें हैं। मध्य विद्यालय धूसर की जांच अनुमंडल पदाधिकारी धमदाहा राजेश्वरी पाण्डेय ने प्रखंड प्रमुख रूपौली रेखा देवी की उपस्थिति में की।जहाँ से विद्यालय प्रधान विद्यालय बंद कर अनुपस्थित पाए गए।वरीय पदाधिकारी के आदेश की अवहेलना करते हुए राजस्व कर्मचारी ज्ञान कुमार, बैरिया, धूसर और सहोरा के संचालन केन्द्र के शिक्षक द्वारा सामुदायिक रसोई नहीं चलाया जा रहा है।
पूछे जाने पर अंचलाधिकारी सह् आपदा प्रबंधन पदाधिकारी रूपौली राजेश कुमार ने बताया कि जांच में यह बात सही साबित हुआ है।वरीय पदाधिकारी के आदेश के उलंघन जैसे मामले को लेकर राजस्व कर्मचारी ज्ञान कुमार पर प्रपत्र ( क) गठित कर दिया गया है। जबकि शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए वरीय पदाधिकारी को लिखित शिकायत भेजी जा रही है।