- भक्त चरण कर रहे हैं नेतृत्व के लिए नये चेहरे की तलाश
- सीमांचल को मिल सकती है प्रदेश नेतृत्व की जिम्मेवारी
(आज समाचार सेवा)
पटना। बिहार कांग्रेस में छायी निरव शांति कहीं अकस्मात तूफान आने के संकेत तो नहीं। प्रभारी भक्त चरण दास के बिहार में लगातार कैंप करना इस बात का सेंकेत है कि नेतृत्व के लिए नये समीकरण व चेहरे की तलाश हो रही है। हालांकि बिहार कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व खतरे को भांप उनके साथ साये की तरह चिपका हुआ है। दिल्ली से लेकर पटना तक कांग्रेस की गलियारे में चल रही चर्चाओं के अनुसार भक्त चरण दास को एक खास मिशन के लिए भेजा गया है। वह मिशन है जर्जर कांग्रेस को कैसे सशक्त बनाया जाये। चुकि आलाकमान २०२४ के मद्देनज संगठन को चुस्त दुरूस्त करना चाहती है।
पार्टी के रणनीतिकारों के अनुसार बहुत लंबे समय से सीमांचल का एरिया नेतृत्व के रुप में उपेक्षित रहा है। जबकि सीमांचल ही एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां अभी भी कांग्रेस के वोट बैंक कुछ हद तक मजबूत है। यानी मजबूत किला है। आलाकमान का भी संकेत है कि इस बार सीमांचल पर भरोसा कर नेतृत्व सौंपा जाये। चर्चा यह है कि अब तक कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक अगड़ी जाति का माना जाता था। इसके बाद मुस्लिम का नंबर आता है। कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि अब अगड़ी जाति पर भरोसा करना भविष्य की राजनीति के लिए खतरे के समान है। ऐसी परिस्थिति में मुस्लिम और महादलित ही कांग्रेस का सहारा बन सकता है। वैसे अति पिछड़ी जाति को भी आगे बढ़ाने की सोच है परंतु इस वर्ग का कांग्रेस में कोई कद्दावर नेता सामने नहीं है।
कांग्रेस के के एक बड़े नेता के अनुसार आज की तिथि में पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर, राष्ट्रीय महासचिव व विधायक शकील अहमद खान, मो जावेद की छवि अन्य कांग्रेसी नेताओं की तुलना में बेहतर है और आलाकमान की पसंद हैं। वहीं पार्टी की पूर्व विधायक पूनम पासवान पर भी दाव खेलेने की भी संभावना है। तीसरे एक और नेता की चर्चा है उसमें डा चंदन यादव, जो कि छत्तीसगढ़ के चुनाव प्रभारी रहे हैं। उनके नेतृत्व क्षमता के चलते वे आलाकमन के गुड बुक में हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद बिहार को नया नेतृत्व मिल जायेगा।
बहरहाल बिहार प्रभारी भक्त चरण दास पटना, गोपालगंज और आरा में पार्टी नेताओं की भीड़ंत से खासे नाराज हैं। भीड़ंत का कारण वर्तमान नेतृत्व के द्वारा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करना मुख्य कारण है। सवाल यह है कि वर्तमान नेतृत्व से कांग्रेस जनों को कब छुटकारा मिलेगा। यह सवाल प्रभारी से हर कांग्रेसी कार्यकर्ता पूछ रहे हैं।