अवैध खनन से नदी का अस्तित्व पड़ा खतरे में
अरवल। जिले में सोन नदी का अस्तित्व खतरे में है। नदी के गर्भ में दर्जनों जेसीबी मशीन से हो रहे अवैधा खनन से इसकी धारा बदलती जा रही है। सोन के गर्भ में हो रहे अवैध खनन से न केवल नदी की धार मुड़ रही है, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी खतरा मंडराने लगा है। बालू माफि़या सोन नदी से अंधाधुंध खुदाई कर सोन नदी को कुएं में तब्दील कर चुके हैं लेकिन जल संसाधान विभाग के कनीय अभियंता और रोशन कुमार को इसकी भनक तक नहीं लग रही है।
इससे साफ़ जाहिर हो रहा है कि कनीय अभियंता जानबूझकर सोन नदी से अंधाधुंध खुदाई में आंख बंद कर चौन की नींद सो रहे हैं या कहा जा सकता है कि बालू माफि़याओं से मिलीभगत है यही कारण है कि सोन नदी से कुएं से तेल की तरह बालू निकाली जा रही है लेकिन ना तो खनन विभाग और ना ही जल संसाधन विभाग के लोग इस पर अंकुश लगाने में सफ़ल हो पा रहे हैं।
सोन नदी में एनजीटी के नियमों को ताख पर रख कर बालू की खोदाई की जा रही है। अवैध खनन से नदी दम तोड़ती जा रही है। नियम के विरुद्ध नदी के बीच निकल आई जमीन पर सड़क का निर्माण कराया गया है। इसी सड़क से बालू लदे सैकड़ों ट्रक प्रतिदिन नदी से बाहर निकलते हैं। सरकार ने 14 व इससे अधिक चक्का के ट्रकों से बालू की ढुलाई पर रोक लगा रखी है, पर इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। खनन कंपनी के भ्रष्ट सरकारी कर्मियों की मिलीभगत से यह धंधा बेरोकटोक चल रहा है।
जिले में सिर्फ 327 हेक्टेयर एरिया से सोन नदी से बालू निकालने की अनुमति दी गई है। लेकिन इन इलाकों में ज्यादातर बालू नहीं होने के कारण बालू माफि़या निर्धारित एरिया को रौंदते हुए अन्य जगहों पर अवैध तरीके से बालू की खुदाई कर रहें है। लोगों का कहना है कि इसमें बालू माफि़या के साथ कथित प्रशासन की भी मिलीभगत है। जिले में बालू माफि़याओं का काला कारोबार का साम्राज्य इस कदर बढ़-चढ़कर चल रही है कि अपने निर्धारित 327 हेक्टेयर एरिया से भी आगे निकल कर बालू माफि़या सोन नदी से बालू निकाल रहे हैं।
बालू खनन करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एरिया का सीमांकन किया गया और पहचान चिन्ह भी लगाया गया। पिलरिंग करने के बाद बालू निकालने वाली कंपनी को समुचित एरिया दी गई। लेकिन इस एरिया से आगे बढ़कर लगातार कंपनी के द्वारा बड़े पैमाने पर बालू की अवैध खनन की जा रही है। जिले के अधिकांश घाट आरा जिले के क्षेत्र से बालू की निकासी कर रहे हैं।