नई दिल्ली, । दो दिन बाद फ्रांस की राजधानी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक शुरू हो रही है। इस बैठक को लेकर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की की सांसे अटकी हुई है। उनको इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में न डाल दे। हालांकि, इस समय पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल है। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान इस ब्लैक लिस्ट से क्यों चिंतित है। इमरान सरकार की क्या मुश्किलें हैं। ग्रे लिस्ट में रहने के चलते पाकिस्तान का प्रत्येक वर्ष कितना आर्थिक नुकसान हो रहा है। इससे पाकिस्तान की छवि क्यों धूमिल हो रही है।
2- प्रो. पंत का कहना है कि एफएटीएफ की बैठक में बहुत सख्ती से इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि इमरान सरकार ने आतंकी फंडिंग और बड़े आतंकियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की और इसके सबूत कहां हैं। एफएटीएफ इस बात को बहुत बारीकी से देखेगा कि पाकिस्तान सरकार ने देश में मौजूद हाफिज सईद और दूसरे बड़े आतंकियों के खिलाफ कितने मजबूत केस तैयार किए है। यह भी जांच की जाएगी कि उन्हें सजा दिलाने के लिए इमरान सरकार कितनी गंभीर है। उनके खिलाफ कितनी ठोस कार्रवाई की गई है। इस बाबत पाकिस्तान को सबूत देने होंगे। फिलहाल पाकिस्तानी एजेंसियों ने अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे टेरर फंडिंग को रोके जाने का सबूत मिला हो।
3- प्रो. पंत ने कहा कि एफएटीएफ के मुताबिक जब किसी देश को निगरानी सूची में रखा जाता है तो इसका तात्पर्य यह है कि उक्त देश तय सीमा के भीतर पहचानी गई कमियों को तेजी से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। एफएटीएफ में आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग के मामले में दो तरह से कार्रवाई करता है। एफएटीएफ कार्रवाई के तहत वह दोषी देशों को ग्रे लिस्ट में शामिल करता है। साथ ही उचित कार्रवाई नहीं करने की स्थिति में उस देश को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है।
4- भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यूएन की ओर से बैन आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का दबाव बनाता रहा है। एफएटीएफ के सामने भी भारत कई बार पाक प्रायोजित आतंकवाद को लेकर सबूत सौंप चुका है। पाकिस्तान अब तक चीन, तुर्की और मलेशिया की वजह से एफएटीएफ में ब्लैक लिस्ट होने से बचाता आया है। ऐसे में यदि पाकिस्तान इस बार ब्लैक लिस्ट में शामिल होता है तो यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।
क्या है एफएटीएफ
गौरतलब है कि एफएटीएफ मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था है। यह आतंकियों को पालने-पोसने के लिए पैसा मुहैया कराने वालों देशों पर नजर रखने वाली एजेंसी है। अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाए रखना इस एजेंसी का उद्देश्य है। यह अपने सदस्य देशों को आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है। अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमलों के बाद आतंकी फंडिंग से निपटने में एफएटीएफ की भूमिका प्रमुख हो गई। वर्ष 2001 में इसने अपनी नीतियों में आतंकी फंडिंग को भी शामिल किया। आतंकी फंडिंग में आतंकियों को पैसा या फाइनेंशियल सपोर्ट पहुंचाना शामिल है। एफएटीएफ के निर्णय लेने वाले निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।