पहली बार पता चला बिहार के बड़ी संख्या में छात्र विदेशों में पढ़ते हैं
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- सदन की भावना से फी निर्धारण कमेटी को अवगत करायेंगे : मंगल
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(आज समाचार सेवा)
पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फी मैपिंग नेशनल इश्यू हैं इस पर केंद्र को गौर करना चाहिये। हमें पहली बार मालूम हुआ है कि बड़ी संख्या में बिहारी छात्र विदेशों में मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं। रूस और यूक्रेन विवाद में यह जानकारी मिली है। हमलोग कोसिस इस असमानता को खत्म करने के लिए कोशिश कर रहे हैं। यह तो देखना ही होगा। मुख्यमंत्री गुरूवार को डा संजीव कुमार, देवेा कांत सिंह समेत अन्य द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण सूचना के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के जवाब के क्रम हस्तक्षेप करते हुए बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि साधारण परिवार के बच्चे भी बाहर पढऩे जाते हैं। यूक्रेन कहां था, सोबियत संघ का ही हिस्सा था न। उस वक्त वहां कम्यूनिस्टों के बच्चे ही वहां पढ़ते थे। सोचना पड़ेगा। निश्चित रुप से निजी मेडिकल कॉलेजों के फी मैपिंग पर विचार होना चाहिए। इस पर सरकार विचार कर भी रही है। यह सिर्फ राज्य सरकार का ही मामला नहीं है। बिहार के बच्चे को बाहर पढऩा नहीं जाना पड़े यह सोचना चाहिए।
इससे पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने ध्यानाकर्षण सूचना जवाब देने के क्रम क्रम में कहा कि राज्य में १९४७ से २००५ के बीच मात्र छह मेडिकल कॉलेज थे और अगले तीन वर्ष में इसकी संख्या २४ हो जायेगी। सरकार तो पयास कर ही रही है कि बिहार के बच्चों को राज्य के बाहर नहीं जाना पड़े। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय की संख्या बढ़ेगी तो मेडिकल की सीटें भी बढ़ेगी। फैकल्टी की भी संख्या बढ़ जायेगी।
उन्होने कहा कि एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए नीट की परीक्षा पास करना होता है। इसके माध्यम से ही सरकारी एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में नामांकन लिया जाता है। जनहित में राज्य के सभी निजी मेडिकल कॉलेजों में लिये जाने वाले ट्यूशन फी का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य में गठित सेवानिवृत न्यायाधीश अखिलेश चंद्रा की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा किया जाता है। एक बार तय किये गये शुल्क का पुनर्निधारण तीन वर्ष बाद ही किया जाता है। फी निर्धारण के छह मानदंड होते हैं। विभिन्न दशों में एमबीबीएस अथवा समकक्ष पाठ्यक्रम के लिए चिकित्सा महाविद्यालयों के मानक एवं पठन-पाठन से संबंधित आधारभूत संरचना में काफी अंतर होता है।
मंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा नामांकन फीस संबंधी गाइड लाइन में स्पष्ट प्रावधान किया गया है कि कोई भी संस्थान कैपिटेशन फी किसी भी रुप में नहीं वसूल सकती है। साथ ही एमबीबीएस, पीजी कोर्स में नामांकन संबधी फीस निर्धारण के क्रम में नॉट फॉर प्रोफिट सिद्घांतों के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि सदन की भावना के संबंध में जनहित में शिक्षण शुल्क के उचित निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित शिक्षण शुल्क निर्धारण कमेटी का अवगत करा दिया जायेगा।