मेला में राज्यों की संस्कृति और कला का समन्वय
गांधी शिल्प बाजार में देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए शिल्पियों को देखकर ग्राहक बहुत प्रसन्न है। शिल्प बाजार में विभिन्न राज्यों की संस्कृति और कला दिखाई दे रही है। शिल्प बाजार आर्थिक मापदंड एवं आत्म स्वावलंबन का मजबूत माध्यम है जो आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है। यहां से अपने उत्पाद को बेचकर शिल्पी मजबूती प्रदान कर सकते है। इस तरह के आयोजन से हस्तशिल्पी के हुनर को जगह मिलती है व स्वरोजगार मिलता है तथा देश की विविधता से हम परिचित होते हैं। दस दिवसीय गांधी शिल्प बाजार विकास आयुक्त हस्तशिल्प वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित एवं ग्रामीण विकास सेवा संस्थान जनपद बस्ती उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित किया जा रहा है। आयोजक एवं संस्था के अध्यक्ष देवी प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि गांंधी शिल्प मेले में पूरे देश की हस्त कला देखने को मिल रहा है। इसके माध्यम से शिल्पियो को प्रमोट करना ही प्रमुख उद्देश्य है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि आम जनता के लिए यह एक बेहतर प्लेटफार्म है जिससे अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। गांधी शिल्प बाजार में कुल १०० स्टाल लगे हैं जहां शिल्पी अपने उत्पाद बेच रहे हैं। गांधी शिल्प बाजार में गोरखपुर का टेराकोटा, भदोही का कारपेट, ड्राई फ्लावर, खुर्जा का चीनी मिट्टी से निर्मित वस्तुएं, मधुबनी पेंटिंग, आगरा का लेदर, लखनऊ का चिकन, बस्ती का प्रसिद्ध जरी, कोल्हापुरी चप्पल, जयपुर के आर्टिफि शियल ज्वेलरी, सहारनपुर के वुड कार्विंग, पिलखुआ हापुर के हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, फिऱोज़ाबाद के गिलास डिजाइन, बिजनौर लकड़ी के खिलौने, बनारस के जरी से बने साड़ी और सूट, गाजीपुर का जूट क्राफ्ट, निजामाबाद का ब्लैक पाटरी, पश्चिम बंगाल के आर्टिफि शियल ज्वेलरी आदि गृह सज्जा हेतु वस्तु, बिक्री के लिए उपलब्ध है।