पटना, । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन बाबू भी कहा जाता है। दरअसल जब वह सत्ता में आए तो प्रदेश की बदहाल व्यवस्था को ठीक करके उन्होंने यह नाम कमाया। लेकिन कसे पेच धीरे-धीरे इस कदर ढीले हो चले कि खुद मुख्यमंत्री ही इसकी चपेट में आ गए। बुधवार को अपने पुराने संसदीय क्षेत्र नालंदा के सिलाव क्षेत्र में वह लोगों से मिल रहे थे कि उनसे पांच फीट की दूरी पर एक युवक ने पटाखा फोड़ दिया। बाद में युवक को जमकर पीटा गया और जेल भेजा गया, यह अलग बात है। असल तो यह है कि 16 दिनों में उनके साथ यह दूसरी बार हुआ। पहले उनके गृह प्रखंड में ही एक युवक पूरी सुरक्षा व्यवस्था भेदकर उन्हें धकिया कर चला गया। मुख्यमंत्री के साथ हुई ये घटनाएं प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं कि जब मुख्यमंत्री के साथ ऐसा हो सकता है तो आम आदमी की क्या बिसात?
इन घटनाओं के अलावा मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी आने वाली शिकायतों ने नीतीश की आंखें खोली हैं। इसलिए पेच कसने के लिए उन्होंने हर बार से अलग तरीका चुना है। पंचायत स्तर तक सरकारी योजनाओं की जांच के लिए टीम गठित कर औचक जांच करवाना शुरू कर दिया है, जो 13 मानकों पर हो रही हैं। इसमें हर घर नल का जल, हर घर तक पक्की नाली, पंचायत स्तर के स्कूलों की स्थिति, छात्रवासों की स्थिति, स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति, आंगनबाड़ी केंद्रों, सभी प्रकार की वृद्धावस्था पेंशन, जन वितरण प्रणाली, ग्रामीण सड़कों की स्थिति, भंडारण केंद्र, मनरेगा योजनाएं, पंचायत सरकार भवन एवं भूमि-राजस्व से जुड़े मामलों की स्थिति शामिल है। इस जांच में जिला स्तर से लेकर अनुमंडल स्तर के पदाधिकारी शामिल हैं।