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- इओयू एसपी के नेतृत्व में बनाई गई एसआईटी
- बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका
- अब तीन महीने बाद ही परीक्षा संभव
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(निज प्रतिनिधि)
पटना। बीपीएससी जैसी परीक्षा के सफल आयोजन करने में नाकाम होने के कारण बिहार सरकार की देश भर में बदनामी हुई है। हालांकि पेपर लीक होने के बाद परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। लेकिन इसके कारण छात्रों को हुई मानसिक परेशानी के साथ ही आयोग को भी करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। अब इस पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। बीपीएससी परीक्षा के पेपर लीक की जांच के लिए एडीजी इओयू नैयर हसनैन खां ने 13 पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई है।
एसपी इओयू सुशील कुमार इस एसआईटी का इंचार्ज बनाया गया है। इस टीम में 6 डीएसपी और 6 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को रखा गया है। एडीजी खुद जांच की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। बीपीएससी जैसी परीक्षा में सेंध लगाना किसी छोटे गिरोह के लिए संभव नहीं हैं। माना जा रहा है कि पेपर लीक होने के पीछे संगठित गिरोह का हाथ हो सकता है। आरा के सेंटर पर जिस तरह से पूरा घटनाक्रम सामने आया है, उससे यह आशंका प्रबल हो गई है। कुछ अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र पहले कैसे मिला और सभी एक कमरे में कैसे पहुंचे इसकी तहकीकात भी शुरू कर दी गई है।
वीर कुंवर सिंह कॉलेज के प्राचार्य समेत कई कर्मचारी तलब
पटना (आससे)। 67 वीं बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक कांड की जांच तेज हो गई है। इस पूरे मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने अपनी जांच का फोकस आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज पर केंद्रित रखा है। आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले में आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल योगेन्द्र सिंह समेत चार स्टाफ को पूछताछ के लिए पटना हेड क्वार्टर बुलाया है। बीपीएससी पेपर लीक मामले में आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल और वहां के चार स्टाफ से ईओयू की टीम पूछताछ करेगी।
रविवार को करीब 800 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। उधर इस पूरे मामले में आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने आरा के वीर कुंवर सिंह कॉलेज में मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात भोजपुर के बड़हरा के प्रखंड विकास पदाधिकारी को आर्थिक अपराध इकाई के मुख्यालय में तलब किया है। प्रखंड विकास पदाधिकारी से आर्थिक अपराध इकाई पटना मुख्यालय में आज सुबह पूछताछ की गई। बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ने भी भोजपुर के वीर कुंवर सिंह कॉलेज से क्वेश्चन पेपर वायरल होने की संभावना जताई है।
जानकारों का कहना है कि इसके पीछे बड़ी साजिश हो सकती है। अब पांच लाख छात्रों को परीक्षा के लिए इंतजार करना पड़ेगा। परीक्षा में कम से कम तीन माह का समय लगेगा। अभी पूरी प्रक्रिया की जांच होगी। जांच के बाद ही आयोग आगे की परीक्षा के लिए तिथि जारी करेगा। बता दें कल हुई परीक्षा से पहले भी चार बार इसकी तिथि बढ़ाई जा चुकी है।