नई दिल्ली। आलोचक घुमा फिराकर पिछले आठ वर्षों में सामाजिक तानेबाने पर भले ही निशाना साधते रहे हों, लेकिन एक बड़ी हकीकत यह है कि समाज आर्थिक और मानसिक रूप से समृद्ध हुआ है। जाति और धर्म से परे आधी आबादी के तो ठाठ ही अलग रहे। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला, तीन तलाक से मुक्ति जैसे कुछ कदमों ने उन्हें सशक्त और सम्मानित किया। नतीजा भी तत्काल दिखा और तकरीबन हर चुनाव में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर सरकार को अपना समर्थन भी दिया। यानी अब देश में महिलाएं सरकारें तय कर रही हैं। वहीं युवाओं को डेमोग्राफिक डिविडेंड के रूप में विकसित करने पर सरकार का फोकस रहा।
नई शिक्षा नीति पर प्रभावी अमल के साथ कौशल विकास के माध्यम से युवाओं को तैयार किए जाने पर जोर है। विकास की दौड़ में हाशिए पर रहने वाले बुजुर्गों, दिव्यांगों और विधवाओं की सामाजिक, आर्थिक व स्वास्थ्य सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। समाज के अंतिम छोर पर रहने वाले व्यक्ति तक स्वच्छ व स्वस्थ भारत मिशन का लाभ पहुंचाने में सफलता मिली है।
उज्ज्वला योजना
मोदी सरकार ने 2017 में उज्ज्वला योजना की शुरुआत कर गरीब महिलाओं को चूल्हा चौके के धुएं से आजादी दिलाई थी। यह एक क्रांतिकारी कदम था। इसके तहत करोड़ गरीब महिलाओं को घरेलू गैस सिलेंडर और चूल्हे दिए गए। महिला भ्रूण हत्या जैसी क्रूर प्रथा पर सख्त पाबंदी के साथ सरकार का नारा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ ने लोगों को खूब भाया। इन आठ सालों में देश में महिला पुरुष के बिगड़ते संतुलन को दुरुस्त करने में मदद मिली है।
तीन तलाक से मुक्ति
मुस्लिम महिलाओं के सिर पर न जाने से कब से टंगी ‘तीन तलाक’ की तलवार उतार ली गई है। सरकार का यह फैसला ऐतिहासिक साबित हुआ है। घर की स्वामी बन रहीं महिलाएं हर घर शौचालय, हर घर नल से जल, बिजली कनेक्शन, शहरों व गांवों में गरीबों को मिले पक्के आवास महिलाओं के नाम दर्ज हैं। इन सारी योजनाओं का प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ महिलाओं को मिला है। शिक्षा में बच्चियों की बढ़ती हिस्सेदारी उन्हें सशक्त बना रही है। चुनावी राजनीति में भी उनका प्रतिनिधित्व बढ़ा है।
शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम सुधार
युवाओं को शिक्षा के साथ प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया चलाई जा रही है। जो जैसा है उसे वैसा ही प्रशिक्षण देकर किसी लायक बनाने के लिए ही कौशल विकास मंत्रालय तक का गठन किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम सुधार स्कूल न पहुंच पाने वाले बच्चों और पढ़ाई बीच में ही छोड़ने वाले बच्चों पर सरकार का विशेष फोकस है। उच्च शिक्षा क्षेत्र में कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं, ताकि जरूरत वाले क्षेत्रों को मानव संसाधन उपलब्ध हो सके। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से इसकी संभावना और बढ़ी है। युवा शक्ति को नई दिशा देकर देश की ताकत बनाने में सरकारी नीतियां कारगर साबित हुई हैं।
बुजुर्गो का विशेष ख्याल
देश की युवा जनसंख्या जो फिलहाल डेमोग्राफिक डिवीडेंड के रूप में देखी जा रही है, वही आने वाले सालों में एक बड़ा बोझ बन सकती है। बढ़ती उम्र के साथ देश में बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि होने वाली है। सरकार ने इस आशंका को पहले से ही भांप लिया है। इसीलिए उनकी सेहत और सुरक्षा को लेकर अभी से फिक्रमंद है। उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए कई योजनाएं नए सिरे से शुरू की गई हैं। वृद्धावस्था पेंशन एक हजार से बढ़ाकर तीन हजार रुपये कर दी गई है। जबकि पीएम वय वंदना योजना में डेढ़ लाख से लेकर 15 लाख तक निवेश करने पर प्रतिमाह वृद्धावस्था पेंशन 9,250 रुपये तक का प्रविधान है। एक आंकड़े के मुताबिक देश में कुल बुजुर्ग आबादी में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी 80 वर्ष से अधिक उम्र वालों की है। उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा की सबसे अधिक जरूरत है। इनके स्वास्थ्य बीमा कवरेज बढ़ाने के लिए ही सरकार ने आयुष्मान भारत जैसी योजना शुरू की है।
अनाज बैंक, जनधन योजना और गरीबों को पक्का मकान
81 करोड़ लोगों को मुफ्त और रियायती दर पर मिल रहा अनाज बैंक अब सिर्फ अमीरों के नहीं रहे। जनधन योजना के सहारे सरकार ने हर किसी को बैंक का रास्ता दिखा दिया। सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे बैंक से प्राप्त होने से लोगों का विश्वास बढ़ा है। रोटी कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के माध्यम से 81 करोड़ लोगों को मुफ्त और अति रियायती अनाज दिया जा रहा है। हर सिर पर पक्की छत यानी हर एक को पक्का मकान दिया जा रहा है। इन घरों में जल के नल, शौचालय, बिजली के बल्ब व रसोई गैस दिए जा रहे हैं। किसानों को तरह तरह की सुविधाएं देने के साथ छह हजार रुपये वार्षिक की नगदी भी उनके बैंक खाते में जमा कराई जा रही है।