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नेपाल में बिप्लब देब के बयान से भड़के लोग, बताया हिंदूवादी एजेंडा


त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देव की टिप्पणी से नेपाल-भारत के रिश्ते हुए असहज Click here to see the BBC interactiveत्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमाब देब की टिप्पणी को लेकर नेपाल ने अपना विरोध दर्ज कराया है.

रविवार को अगरतला में बिप्लब कुमाब देब ने पार्टी के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह का हवाला देते हुए कहा था कि बीजेपी न केवल भारत के सभी राज्यों में, बल्कि नेपाल और श्रीलंका में भी सरकार बनाना चाहती है.

बिप्लब कुमार देब ने कहा था कि तब अमित शाह पार्टी प्रमुख थे और उसी दौरान उन्होंने अपनी योजना के बारे में बताया था कि पार्टी विदेशों में भी अपना विस्तार करेगी.

उन्होंने कहा था, ”गृह मंत्री जी तब राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. मैंने एक बैठक में कहा कि अध्यक्ष जी बहुत स्टेट हमलोग के पास हो गया है. अब तो अच्छा हो गया है. इस पर अध्यक्ष जी ने कहा- अरे काहे अच्छा हो गया है. अभी तो श्रीलंका बाक़ी है. नेपाल बाक़ी है. मतलब उस आदमी को…बोलता है कि देश का तो कर ही लेंगे…श्रीलंका है…नेपाल है…वहाँ भी तो पार्टी को लेकर जाना है. वहाँ भी जीतना है.”

औपचारिक आपत्ति

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा है कि इस मामले में नेपाल ने भारत सरकार के समक्ष औपचारिक आपत्ति दर्ज करा दी है.

नेपाली मीडिया के अनुसार भारत में नेपाल के राजदूत नीलांबर आचार्य ने सरकार के समक्ष औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली के प्रेस सलाहकार सुदन ज्ञवाली ने बीबीसी से कहा कि दिल्ली के नेपाली दूतावास ने भारत सरकार के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (प्रचंड गुट) के केंद्रीय और नेपाली प्रवास समन्वय समिति के अध्यक्ष युवराज चौंलगाईं ने बीबीसी से कहा कि बिप्लब देब की यह टिप्पणी नेपाल की संप्रभुता का अपमान है.

युवराज कहते हैं, ”भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी से पता चलता है कि भारत का शासक वर्ग नेपाल को लेकर क्या सोच रखता है. आप ये कैसे कह सकते हैं? नेपाल एक संप्रभु देश है और उसके बारे में उसी सम्मान के साथ कोई टिप्पणी होनी चाहिए.”

युवराज कहते हैं, ”नेपाल को लेकर बीजेपी में इतना आत्मविश्वास कहाँ से आता है, ये सोचने की बात है. इन्हें लगता है कि नेपाल में हिंदू आबादी बहुसंख्यक है, तो कुछ भी बोल दो. हमारी आबादी में भले बहुसंख्यक हिंदू हैं, लेकिन इससे हमारी संप्रभुता का सम्मान कम नहीं हो जाता है. दुनिया में कई मुस्लिम बहुल देश हैं, लेकिन वहाँ तो कोई बड़ा मुस्लिम बहुल देश छोटे मु्स्लिम बहुल देश की संप्रभुता का अपमान नहीं करता. मेरा मानना है कि नेपाल की सरकार को और कड़ी आपत्ति दर्ज करानी चाहिए थी.”