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Aarushi-Hemraj Murder Case 15 साल बाद भी अनसुलझा है आरुषि हत्याकांड CBI की दो-दो टीमें रहीं फेल –


नई दिल्ली, । कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं जो देश ही नहीं पूरी दुनिया को हिलाकर रख देती हैं और यह ऐसी रहस्यमयी घटनाएं होती हैं जिन्हें लेकर सवाल तो कई होते हैं लेकिन जवाब किसी के पास नहीं होता। ऐसा ही एक केस है नोएडा का आरुषि-हेमराज हत्याकांड। इस हत्याकांड को आज पूरे 15 साल हो गए हैं लेकिन यह आज भी उतना ही अनसुलझा है जितना वारदात के पहले दिन था। इस केस में यह रहस्य अब भी कायम है कि आखिर 15-16 मई, 2008 की रात किसने पहले आरुषि और फिर हेमराज का बेरहमी से कत्ल कर दिया।

पुलिस ने मां-बाप को बनाया आरोपी, निचली अदालत ने दी सजा, हाईकोर्ट ने किया बरी

आरुषि-हेमराज हत्याकांड में मुख्य आरोपी आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को ही बनाया गया था। इन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए वर्ष 2013 उम्र कैद की भी सजा सुनाई थी। वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच में कई खामियों का जिक्र करते हुए आरुषि-हेमराज मर्डर में वर्ष, 2017 में राजेश और नूपुर को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

क्या है अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री

आरुषि तलवार के कत्ल की खबर सबसे पहले 2008 में आज ही के दिन यानी 16 मई की सुबह उस वक्त सामने आई थी जब तलवार परिवार की घरेलू सहायिका काम करने घर पहुंची। घरेलू सहायिका जब आरुषि के कमरे में पहुंची तो उसका शव बेडरूम में पड़ा मिला। वह चीखती हुई राजेश-नूपुर के पास गई। इसके बाद मीडिया की खबरों में जानकारी सामने आई कि घरेलू सहायक हेमराज घर में आरुषि की हत्या करके नेपाल फरार हो गया है।

पहले गायब हेमराज ही माना गया आरुषि का कातिल

आरुषि की हत्या के बाद जब पुलिस वहां पहुंची तो हेमराज को ही कातिल माना जा रहा था। दरअसल सूचना मिलने पर घटनास्थल पर पहुंची नोएडा पुलिस को मां-बाप राजेश तलवार और नूपुर तलवार ने बताया था कि उनका घरेलू सहायक हेमराज उनकी बेटी आरुषि तलवार की हत्या करके फरार हो गया है। राजेश-नूपुर दोनों ही नोएडा के जाने-माने दंत चिकित्सक थे, इसलिए मामला सामने आते ही हाई प्रोफाइल हो गया। राजेश-नूपुर की जानकारी पर यकीन करते हुए नोएडा पुलिस की टीमें हेमराज की तलाश में नेपाल के लिए रवाना हो गईं।

…और अगले दिन डबल मर्डर बन गया आरुषि हत्याकांड

16 मई को जहां नोएडा पुलिस घरेलू सहायक हेमराज को कातिल मानकर जांच कर रही थी, ठीक 24 घंटे में L-32 जलवायु विहार नोएडा यानी राजेश-नूपुर के घर की छत पर हेमराज का शव मिला। फिर यह डबल मर्डर में तब्दील हो गया। इसी के साथ पूरी जांच की 360 डिग्री घूम गई। जिसे नोएडा कातिल समझ रही थी वह तो पीड़ित निकला था। इसी के साथ यह मामला देशभर की मीडिया में सामने आ चुका था। इसी के साथ नोएडा पुलिस भी घेरे में आ चुकी थी।

नोएडा पुलिस पर दबाव बहुत ज्यादा था और जांच के दौरान हत्या के 2 दिन बाद यानी 18 मई 2008 को पुलिस ने बताया कि हत्या सर्जिकल ब्लेड से की गई है और फिर मर्डर का शक आरुषि के माता-पिता राजेश-नूपुर पर चला गया। 23 मई, 2008 को नोएडा पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को डबल मर्डर में गिरफ्तार कर लिया गया।

तत्कालीन मायावती सरकार ने 1 जून 2008 को पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। जांच की कड़ी में आरुषि और हेमराज के कत्ल में सीबीआई ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। फिर उन्हें संदेह के आधार पर छोड़ दिया गया। इसी तरह तीन घरेलू सहायकों को भी क्लीन चिट मिल गई। फिर 29 दिसंबर 2010 को सीबीआई ने मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें नौकरों को क्लीन चिट दे दी।

मां-बाप बने आरोपी, फिर दोषी, मिली उम्रकैद की सजा

इसी के साथ सीबीआई ने आरुषि का शक मां-बाप पर जताया। इसके बाद क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानकर मुकदमा चला। फिर आरुषि मर्डर केस में 26 नवंबर 2013 को सीबीआई कोर्ट ने नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी

आरुषि के माता-पिता खुद को बेगुनाह बताते हए इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे। 12 अक्टूबर, 2017 को हाई कोर्ट ने मामले में आरोपी तलवार दंपती को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इसी के साथ यह रहस्य अब भी कायम है कि आखिर 15-16 मई, 2008 की रात को किसने किया था आरुषि-हेमराज का मर्डर?