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Aligarh: गरीबी की आग में तड़प रही मां-बेटियों ने एक-एक कर तोड़ा था दम


अलीगढ़, । अलीगढ़ में मां व बेटियों की आत्महत्या की घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया है। हर तरफ घटना की चर्चा हो रही है। ये आर्थिक तंगी की मार ही थी, जिसने एक परिवार को खाने तक के लिए मोहताज बना दिया। मां और दो जवान बेटियां हर रोज गरीबी की आग में तपती रहतीं। आसपास के लोगों का कहना है कि दोनों बेटियों का मां से बेहद लगाव था। कोई मां की फोटो से भी छेड़छाड़ करता तो वो झगड़ा कर बैठती थीं। मां के लिए इलाज के लिए दोनों कारखाने में काम करके रुपये इकट्ठा करती थीं। लेकिन, तीन दिन पहले सभी को ये जानकारी हो गई थी अब वह इलाज नहीं करा पाएंगे। आर्थिक तंगी के इन हालातों में बीमार मां का इलाज संभव नहीं हो पाया और तीनों ने मौत को गले लगाना मुनासिब समझा।

मां ने पहले ही तोड़ा था दम

इस्लाम नगर में महिला व दोनों बेटियों की मौत ने सभी को सन्न कर दिया। तीनों ने एक-एक करके दम तोड़ा था। जहर खाने से पहले नगीना की मौत हुई थी तो दोनों बेटियां रोने लगीं। इससे आसपास के सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए। इसके बाद एक और बेटी की हालत खराब हुई। इस दौरान दूसरी बेटी पास में ही रहने वाली बहनों के घर खबर करने गई। जब तक वो लौटी तो उसकी बहन अचेत हो गई थी। कुछ देर बाद उसकी भी हालत खराब होने लगी और मौत हो गई। पुलिस आत्महत्या की बात कह रही है, मगर इस घटना ने कई सवाल छोड़ दिए हैं। क्या तीनों ने एक साथ जहर खाया? क्या मां ने दोनों बेटियों को बिना बताए जहर दे दिया या तीनों ने आपसी सहमति से ये कदम उठाया। क्या मां की मौत पहले हो गई, जिसके बाद बेटियों ने वियोग में आकर जहर खा लिया। इन सब जवालों के जवाब बिसरा रिपोर्ट के बाद मिल सकेंगे।

बेटी बोली- चंदा डालकर चल रहा था मां का इलाज

नगीना की चार बेटियां भुजपुरा व आसपास के इलाकों में ही ब्याही हैं। बड़ी बेटी तरन्नुम ने बताया कि घर की हालत ठीक नहीं थी। यहां तक कि भुजपुरा के मंदिर में चंदा डालकर मां का इलाज कराया जा रहा था। बुधवार शाम को मां से हालचाल लिया था। सबकुछ ठीक था। रात में मिलने आई तो पता चला कि मां की मौत हो चुकी है। दोनों बहनें रो रही थीं। कुछ देर बाद उन दोनों की हालत भी खराब हो गई। उन्हें अस्पताल ले जाने लगे, मगर उन्होंने भी दम तोड़ दिया।

न राशन कार्ड, न विधवा पेंशन बनी

तीनों शवों का पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों के पैनल ने किया। भूख से मौत की चर्चा थी, मगर तीनों के पेट में खाना था। पोस्टमार्टम हाउस पर निवर्तमान महापौर फुरकान व क्षेत्रीय पार्षद समेत तमाम लोग आ गए थे। लोगों ने बताया कि महिला के पास न तो कोई राशन कार्ड था, न ही विधवा पेंशन बन पाई थी। पार्षद मोहम्मद हाफिज अब्बासी ने बताया कि सात साल पहले अंत्योदय कार्ड बना था। वह रद हो गया। इसकी जानकारी परिवार ने किसी को नहीं दी। कार्ड दोबारा नहीं बन सका। बेहतर प्रशासनिक व्यवस्थाओं की खुली पोलकांग्रेस नेता यूनुस आगा ने कहा कि मां सहित दो बेटियों की आत्महत्या कर ली। ये उन अधिकारियों के लिए शर्मनाक है, जो बेहतर प्रशासनिक व्यवस्थाओं के दावे करते हैं। उस व्यवस्था की पोल खुल गई है। केंद्र व राज्यसरकार फ्री में राशन वितरण कराती है, मगर उस परिवार के पास राशन कार्ड तक नहीं था। अत्यंत गरीब परिवार होने के बाद भी इस परिवार की ओर ना तो भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया, ना ही महापौर ने सुध ली।