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Chardham Yatra: गंगोत्री-यमुनोत्री में सख्ती के बाद सुधरे हालत, ऑफलाइन पंजीकरण 31 तक स्थगित


उत्तरकाशी :  चारधाम के लिए ऑफलाइन पंजीकरण 31 तक स्थगित किए जाने और उत्तराखंड शासन के सख्त निर्देश के बाद स्थिति में कुछ सुधार आया। खासकर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में यातायात व्यवस्था कुछ हद तक पटरी पर लौटी है। उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम (105 किलोमीटर) तक पहुंचने में तीर्थयात्रियों को छह से सात घंटे लग रहे हैं।

 

सुबह आठ बजे से पहले जो तीर्थयात्री उत्तरकाशी से गंगोत्री के लिए जा रहा है, वह करीब साढ़े पांच घंटे में पहुंच रहा है। गंगोत्री से उत्तरकाशी लौटने के लिए भी तीर्थयात्री को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। केवल गंगोत्री धाम में दर्शन के लिए लंबी लाइन लग रही है।

करीब एक से दो घंटे तक का इंतजार

भीड़ बढ़ने पर करीब एक से दो घंटे तक तीर्थयात्रियों को लाइन पर लगा रहना पड़ रहा है। लखनऊ की तीर्थयात्री रंजना ने कहा कि वह अपने परिवार के साथ मंगलवार सुबह बड़कोट से यमुनोत्री धाम के लिए गई। पालीगाड़ के वन-वे बैरियर के पास करीब 45 मिनट इंतजार किया। सुबह नौ बजे जानकी चट्टी पहुंचे। यमुनोत्री धाम की यात्रा करने के बाद शाम पांच बजे वे जानकी चट्टी लौट आए।

गंगोत्री और यमुनोत्री में यातायात व्यवस्था कुछ सुचारू होने के बाद केदारनाथ की ओर भीड़ बढ़ रही है। जिसके चलते उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने गंगोत्री से केदारनाथ की ओर जाने वाले वाहनों को उत्तरकाशी चमियाला घनसाली तिलवाड़ा के बजाय उत्तरकाशी चंबा श्रीनगर मार्ग से भेजना शुरू किया है। उत्तरकाशी चमियाला घनसाली तिलवाड़ा मार्ग के व्यवसायी इस व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं।

धारा 144 के तहत जारी किए थे आदेश

यमुनोत्री धाम में पैदल यात्रा मार्ग पर तीर्थयात्रियों के आवागमन को सुगम बनाने के लिए जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने सोमवार की रात को धारा 144 के तहत आदेश जारी किए थे। मंगलवार को जिसका कुछ असर यमुनोत्री पैदल मार्ग पर देखने को मिला। घोड़ा-खच्चर व पालकी की संख्या निश्चित समय अंतराल के लिए तय की गई है।

चारधाम यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर 2022 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से जारी आदेश का पिछले दस दिनों में यमुनोत्री धाम की यात्रा के दौरान पालन होता नहीं दिख रहा था। सोमवार देर शाम जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने धारा 144 के तहत आदेश जारी किए। इस आदेश के बाद अब निश्चित समय अंतराल में 800 घोड़े-खच्चर और 300 पालकी निर्धारित संख्या में भेजी जा रही हैं।

50-50 के लाट में भेजी गईं तीन सौ पालकी

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने कहा कि जिलाधिकारी के आदेश अनुसार मंगलवार को एक निश्चित समय अंतराल में जानकीचट्टी यमुनोत्री के लिए 800 घोड़े-खच्चर भेजे गए। घोड़े खच्चर के संचालन के बाद यमुनोत्री धाम से जिस क्रम में घोड़े खच्चर वापसी कर रहे हैं, उसी क्रम से फिर जानकीचट्टी से यमुनोत्री के लिए घोड़े खच्चर भेजे जा रहे हैं।

इसी तरह से तीन सौ पालकी को 50-50 के लाट में भेजी गई। घोड़े-खच्चर व पालकी से पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों को यमुनोत्री धाम एक घंटे के अंतराल में स्नान, पूजा और दर्शन कर लौटना होगा। अगर तीर्थयात्री एक घंटे से अधिक समय लगाता है तो घोड़ा-खच्चर व पालकी संचालक धाम में मौजूद जिला पंचायत के कर्मचारी को अवगत कराके खाली ही जानकीचट्टी लौट जाएंगे।

एनजीटी के भी हैं आदेश

वर्ष 2022 में चारधाम यात्रा के दौरान यमुनोत्री, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब में घोड़ा खच्चर संचालन व स्वच्छता को लेकर कई सवाल उठे थे। सामाजिक कार्यकर्त्ता उर्वशी शोभना कछारी ने एनजीटी में रिट दायर की थी। इसमें घोड़ा-खच्चर संचालन, उनकी सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर प्लान तैयार करने की अपील की गई थी।

एनजीटी की ओर से गठित समिति ने व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और रिपोर्ट सौंपी। इसमें यमुनोत्री, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब में स्वच्छता से लेकर घोड़ा-खच्चर संचालन की व्यवस्था सही नहीं मिली। यात्रा को सुव्यवस्थित बनाने के लिए एनजीटी ने प्लान जारी कर उनका अनुपालन करवाने के आदेश जारी किए थे।

एनजीटी ये तय की थी घोड़े खच्चर की संख्या

  • धाम, ट्रैक दूरी, घोड़े-खच्चर की क्षमता
  • केदारनाथ, 18, 2250
  • हेमकुंड साहिब, 19, 2375
  • यमुनोत्री, 7, 875

एनजीटी के ये हैं मानक

घोड़ा खच्चर की संख्या निर्धारण में एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि यमुनोत्री, केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और गंगोत्री गोमुख ट्रैक संबंधित ट्रैक पर घोड़े-खच्चर का संचालन जोड़े में किया जाए।

 

एक जोड़ी के लिए 16 मीटर की आवश्यकता होती है। एक जोड़ी से दूसरी जोड़ी के बीच उचित दूरी होनी जरूरी है। घोड़ा पड़ाव पर प्रत्येक घोड़ा खच्चर के लिए 10 वर्ग मीटर का स्थान होना चाहिए। घोड़ा-खच्चर के खाने में चारे के साथ चना भी जरूरी हो।