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Coal crunch: चीन की तरह भारत में भी पैदा हो सकता है बिजली संकट,


  1. नई दिल्‍ली। चीन की तरह भारत में भी बिजली संकट पैदा होने की आशंका तेजी से बढ़ रही है। त्योहारी सीजन से पहले देश में कोयला संकट खड़ा हो गया है जो निरंतर बढ़ता जा रहा है। भारत में उत्‍पादित होने वाली कुल बिजली में 70 प्रतिशत बिजली कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से पैदा होती है।

कोयला खदानों से दूर स्थित नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है। कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों को नॉन-पिटहेड कहते हैं। केंद्रीय बिजली प्राधिकरण सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 25 ऐसे बिजली संयंत्रों में तीन अक्टूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था। कम से कम 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है। सीईए 135 बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है।

कुल मिलाकर तीन अक्टूबर को 135 संयंत्रों में कुल 78,09,200 टन कोयले का भंडार था, और यह चार दिन के लिए पर्याप्त है। रिपोर्ट में बताया गया कि 135 संयंत्रों में से किसी के भी पास आठ या अधिक दिनों का कोयले का भंडार नहीं था। 165गीगावॉट स्‍थापित क्षमता के साथ 135 बिजली संयंत्रों को दैनिक आधार पर 18,24,100 टन कोयले की आवश्‍यकता होती है। 135 संयंत्रों में से किसी के पास भी आठ दिन या इससे अधिक का कोयला भंडार मौजूद नहीं है।

7 संयंत्रों के लिए अति गंभीर अलर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक 7 नॉन-पिटहेड बिजली संयंत्रों जहां कोयला खदान 1500 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है) के पास पांच से कम अवधि का कोयला भंडार है और इन्‍हें अति गंभीर अलर्ट पर रखा गया है। वहीं एक संयंत्र के पास नौ दिन से कम का कोयला भंडार है और इसे गंभीर अलर्ट पर रखा गया है। पिटहेड पावर प्‍लांट्स में से तीन के पास तीन दिन से कम का कोयला भंडार है और इन्‍हें अति गंभीर अलर्ट पर रखा गया है। 7 संयंत्रों के पास पांच दिन से कम का कोयला भंडार बचा है और इन्‍हें गंभीर अलर्ट पर रखा गया है।