इस्लामाबाद, : पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि सेना प्रमुख और ज्वाइंट चीफ आफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया इस सप्ताह पूरी हो जाएगी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि सेना प्रमुख की नियुक्ति 25 नवंबर तक पूरी कर ली जाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान सरकार के सेना प्रमुख की नियुक्ति में भारत किस तरह का एक बड़ा फैक्टर है। आखिर पाकिस्तान सरकार सेनाध्यक्ष की नियुक्ति में किन बातों पर गौर कर रही है। आइए जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख के लिए किन लोगों का नाम चल रहा है। इन सैन्य अफसरों का क्या है भारतीय सुरक्षा से लिंक।
पाकिस्तानी सेना के शीर्ष पदों की दौड़ में तीन नाम
पाकिस्तानी सेना के प्रमुख पद की दौड़ में जिन तीन जनरलों का नाम सबसे आगे चल रहा है, उनमें लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद मिर्जा और लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास हैं। तीसरे लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर है। लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर पाकिस्तान खुफिया एजेंसी (ISI) के प्रमुख भी रह चुके हैं। यह भारत और कश्मीर से जुड़े मामलों की अच्छी समझ रखते हैं। असीम मुनीर भारत में पुलवामा हमले के दौरान ISI के चीफ थे। यह माना जा रहा है है कि ये जनरल भारत के साथ संबंधों की अच्छी समझ रखते हैं या फिर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय मुद्दों को निपटाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
क्या है इन जनरलों का भारतीय सुरक्षा से लिंक
1- पाकिस्तान में सेना प्रमुख की रेस में लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर का नाम भी तेजी से चल रहा है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद मुनीर का नाम सुर्खियों में था। फरवरी, 2019 में पुलवामा में आत्मघाती बम विस्फोट के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। उस वक्त भारत के खिलाफ पाकिस्तान में सुरक्षा नीतियों पर योजना बनाने का काम लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर के कंधों पर था। भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान वह पाकिस्तान सेना के उस दल का नेतृत्व कर रहे थे, जिसे भारत के खिलाफ निर्णय लेना था। पुलवामा हमले के बाद भारत की एयर स्ट्राइक के जवाब में पाकिस्तानी एयरफोर्स को हमला करना चाहिए ये असीम मुनीर का ही फैसला था।
2- हालांकि, उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से अनबन के कारण उन्हें आईएसआई प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। यह कहा जाता है कि उनका बकवास रवैया और किताबी दृष्टिकोण कथित तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री खान को नहीं भाता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी का एक वर्ग सेना प्रमुख के पद पर उनकी पदोन्नति का समर्थन करता है, क्योंकि उनका मानना है कि मुनीर इमरान खान के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।
3- लेफ्टिनेंट जनरल अजहर अब्बास के पास भारत के खिलाफ अभियानों का एक बड़ा अनुभव है। अब्बास को जनरल स्टाफ के प्रमुख के रूप में भारत के खिलाफ अभियानों का सबसे अधिक अनुभव वाला जनरल माना जाता है। इन अभियानों में उन्होंने सभी परिचालन मामलों की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खासकर, 2019-21 में रावलपिंडी स्थित एक्स कार्प्स के प्रमुख के रूप में उनके पिछले कार्यकाल को पाकिस्तान सरकार बेहतरीन मानती है। बता देंएक्स कार्प्स का गठन कश्मीर के कुछ हिस्सों में संचालन की देखरेख करता है। इसके अलावा उनकी तैनाती भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी रही है। वहीं जनरल मिर्जा को भी भारत से जुड़े मामलों की अच्छी जानकारी है। वह भी एक्स कार्प्स के कमांडर रह चुके हैं।
27 नवंबर से पहले नए सेना प्रमुख की नियुक्ति
उधर, डान अखबार के मुताबिक रक्षा मंत्रालय 27 नवंबर से पहले नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर देगा। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हाल में निजी यात्रा पर लंदन गए थे, जहां उनके बड़े भाई और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ फिलहाल रह रहे हैं। उन्होंने नवाज शरीफ से इस मुद्दे पर सलाह-मशविरा किया है। अखबार के मुताबिक पीएम के वापस आने पर गठबंधन के सभी साझेदारों के साथ इस पर बातचीत की है। नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की भूमिका अहम हो गई है, क्योंकि मीडिया में आई कुछ खबरों में दावा किया गया है कि वह 25 दिनों तक अधिसूचना को रोक सकते हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने राष्ट्रपति अल्वी को सेना प्रमुख की नियुक्ति में किसी भी तरह की गड़बड़ी पैदा नहीं करने की सलाह दी है।