नई दिल्ली, । दिल्ली की तिहाड़ जेल से श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) में अपने पैतृक राज्य की जेल में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर यूएपीए मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे जैश-ए-मोहम्मद (जेएएम) के आतंकवादी अब्दुल मजीद बाबा की याचिका शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज दी।
वहीं, हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति पूनम बंबा की पीठ ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 66 वर्षीय बाबा को अपेक्षित उपचार और चिकित्सा प्रदान की जाती रहे। श्रीनगर सेंट्रल जेल में स्थानांतरण की मांग करते हुए बाबा ने कहा था कि उनका स्वास्थ्य हर दिन बिगड़ रहा है और उनके परिवार के सदस्य कश्मीर से उनसे मिलने में असमर्थ हैं।
बता दें कि बाबा तिहाड़ सेंट्रल जेल के हाई रिस्क वार्ड में बंद है। बाबा को आइपीसी की धारा 120बी, 121ए, 122 और 123 और यूएपीए की धारा 17, 18, 20, 21 और 23 के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उनकी सजा को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में बरकरार रखा था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि दिल्ली जेल नियम-2018 के नियम 664 और 672 के तहत राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति के साथ कैदी को चिकित्सा और मानवीय आधार पर एक जेल से दूसरे जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है। याचिकाकर्ता को दिल्ली से श्रीनगर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित करने में सुरक्षा जोखिम के मूल्यांकन के तहत राज्य द्वारा व्यक्त की गई कानून और व्यवस्था की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए अदालत याचिकाकर्ता की प्रार्थना स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।
अदालत को सूचित किया गया कि अब्दुल लंबे समय तक फरार रहा और बार-बार गैर जमानती वारंट 2013 से 2019 तक छह साल की अवधि के लिए निष्पादित नहीं किया जा सका। अभियोजन पक्ष ने कहा कि उसकी गिरफ्तारी के लिए दो लाख रुपये की इनाम की घोषणा की गई थी और जिसके बाद उसे 11 मई 2019 को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था।
सरकारी वकील ने तर्क दिया है कि याचिकाकर्ता प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का कट्टर आतंकी होने के नाते उसके स्थानांतरण से स्थानांतरित और प्राप्त करने वाले राज्य दोनों में कानून और व्यवस्था के नतीजे हो सकते हैं। वहीं, बाबा के वकील ने जवाब में कहा कि वह पुलिस के सामने आत्मसमर्पण नहीं कर सका था क्योंकि उसका श्रीनगर के एक अस्पताल में लगातार इलाज चल रहा था।