उधर, नई आबकारी नीति को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच पहले से तकरार चल रही थी। अब उपराज्यपाल ने इस नीति की सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी है। इसे लेकर दोनों के बीच राजनीतिक लड़ाई और बढ़ेगी। इसकी शुरुआत भी हो गई है। उपराज्यपाल के फैसले के तुरंत दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर जुबानी हमले शुरू कर दिए हैं। भाजपा ने भी एक बार फिर से इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरने की घोषणा कर दी है।
भाजपा नई आबकारी नीति का शुरू से विरोध कर रही है। राजधानी में चक्का जाम करने के साथ ही जगह-जगह रोष प्रदर्शन किए गए। इसके विरोध में केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी वचरुअल रैली कर चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ेंगे। भाजपा विधायकों ने विधानसभा में भी इसका विरोध किया था। भाजपा इस नीति को महिला व युवा विरोधी बताने के साथ ही भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि मास्टर प्लान का उल्लंघन कर प्रतिबंधित स्थानों पर शराब की दुकानें खोली जा रही हैं। धार्मिक स्थलों व स्कूलों के नजदीक दुकानें खुल रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने नगर निगम की मदद से कई दुकानों को अवैध बताते हुए सील भी किया था। उन्होंने किसी भी सूरत में अवैध दुकानें नहीं चलने देने की घोषणा की थी।
उस समय नगर निगमों की एकीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई थी। निगम चुनाव समय पर होने की उम्मीद थी, इसलिए पार्टी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही थी। बाद में निगमों के एकीकरण की वजह से चुनाव स्थगित होने से यह मुद्दा भी शांत हो गया था।
दूसरी तरफ आप नेता भाजपा पर दिल्लीवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि शराब की बिक्री में गड़बड़ी और राजस्व चोरी को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं। उपराज्यपाल के फैसले का विरोध करते हुए इसे भाजपा के इशारे पर उठाया गया कदम बता रहे हैं। पार्टी इसे लेकर आंदोलन की तैयारी भी कर रही है।