गाजियाबाद, । डीएमई मंगलवार सुबह हुए हादसे में बस चालक सिर्फ आठ किमी के चक्कर में छह जिंदगियों पर काल बनकर टूटा। प्रेमपाल गाजीपुर (दिल्ली) से बस में सीएनजी भरवाने के बाद वहां से सही दिशा में गाजियाबाद के लिए चला, लेकिन खोड़ा में आदर्श नगर कालोनी के पास यूटर्न लेकर दिल्ली जाने वाले लेन पर गलत दिशा में चढ़ गया।
यह डीएमई का नौ किमी माइलस्टोन है और हादसा 14 किमी माइलस्टोन के बाद हुआ। प्रेमपाल को एबीईएस कट के पास उतरना था। चालक सही दिशा में जाता तो डासना से यूटर्न लेकर आना पड़ता, जो एबीईएस से करीब आठ किमी दूर है।
इससे बचने को चालक गलत दिशा में चला और एक ही परिवार की छह जिंदगियों के लिए काल बन गया। छह की मौत हो गई और दो अभी भी जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं।
नहीं माने अधिकारी तो पैर पकड़कर गिड़गिड़ाए
इस वीभत्स घटना पर मुख्यमंत्री ने संवेदना जताते हुए अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर हरसंभव मदद देने का निर्देश दिया, लेकिन अधिकारियों में सिर्फ एडीसीपी यातायात रामानंद कुशवाहा, सिटी मजिस्ट्रेट शुभांगी शुक्ला, तहसीलदार रवि कुमार व एसीपी वेव सिटी रवि प्रकाश सिंह अलग-अलग जगहों पर स्वजन से मिलने पहुंचे, लेकिन पुलिस व प्रशासनिक मुखिया नदारद रहे।
पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होने से पहले एडीएम प्रशासन बिपिन कुमार पहुंचे तो स्वजन ने एनएचएआइ के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की तो कोरा आश्वासन मिला। स्वजन ने शव ले जाने से मना कर दिया और अधिकारी नहीं माने तो नरेंद्र के ममेरे भाई दीपक ने रोते हुए एसएचओ क्रासिंग रिपब्लिक और एडीएम के पैर पकड़ लिए।
बोले, साहब हमारा पूरा परिवार बिखर गया। कुछ तो बोलो, जिसके बाद अधिकारियों ने लिखित में मुआवजे का आश्वासन दिया और एनएचएआइ के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई वाली तहरीर लेकर रिसीविंग दी, जिसके बाद रात आठ बजे स्वजन शव लेकर मेरठ रवाना हुए।
सोते रहे कर्मचारी, दस्तावेजों में हो रही गश्त
एनएचएआइ का दावा है कि डीएमई पर गश्त के लिए पांच वाहन हैं, जो दिन भर भ्रमणशील रहते हैं। इसके अलावा कैमरों से मिलने वाले लाइव फीड की कंट्रोल रूम से निगरानी भी की जाती है। बावजूद इसके एनएचएआइ ने न तो पुलिस को बस की सूचना दी और न गश्त वाहन ने इसे रोका।
कमिश्नरेट पुलिस के हाईवे की गश्त के दावों की भी पोल खुल गई। इस दायरे में एक्सप्रेसवे के दोनों ओर इंदिरापुरम, विजयनगर, क्रासिंग रिपब्लिक थाना पड़ता है। डीएमई से जुड़े एनएच-नौ पर यदि पुलिसकर्मी भ्रमणशील रहते तो बस को रोका जा सकता था।
हैरानी इस बात की है कि कांवड़ यात्रा के दौरान भी पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। डीएमई के सभी प्रवेश व निकास समेत आठ प्वाइंट पर यातायात पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन इनकी ड्यूटी सुबह सात बजे से रात करीब 11 बजे तक होती है।
पुलिस की कार्य शैली पर भी सवाल
सभी शव दो बजे से पहले पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए थे, लेकिन पंचनामा के दस्तावेज बनाने में पुलिस ने देर कर दी। इस कारण पोस्टमार्टम में भी देरी हुई। जानकारी के मुताबिक प्रेमपाल अक्सर सुबह के समय इसी तरह नियम तोड़कर गलत दिशा में गाजीपुर से लौटता था। इस सवाल पर पुलिस अधिकारियों ने चुप्पी साध ली। साफ है कि इस बड़ी घटना में भी आरोपित से शुरुआती पूछताछ नहीं हुई। सवाल एनएचएआइ पर टाल दिया गया।
सभी कैमरे सुचारू हैं। लगातार वर्षा के कारण किसी में खराबी आई है तो इसे ठीक कराएंगे। यातायात नियमों के उल्लंघन की पुलिस को समय से सूचना देते हैं, क्योंकि एनएचएआइ के पास कार्रवाई का अधिकार नहीं है।
– अरविंद कुमार, परियोजना निदेशक।
पंचनामा भरवाकर जल्द से जल्द पोस्टमार्टम कराया गया। एनएचएआइ के अधिकारियों के खिलाफ भी तहरीर मिली है। प्रेमपाल अक्सर गलत दिशा में चलता था या नहीं, एनएचएआइ की फुटेज से इसका पता चलेगा।
– रवि प्रकाश सिंह, एसीपी, वेव सिटी।