नई दिल्ली, । Directorate of Revenue Intelligence: किसी भी देश में शांति, स्थिरता और बाहरी खतरों से निपटने के लिए कई जांच एजेंसियां काम करती हैं। हमारे देश में भी ऐसी कई जांच एजेंसियां हैं, जो बहुत ही गुप्त तरीके से आम जनता को बिना कुछ पता चले भ्रष्टाचार और गैरकानूनी गतिविधियों से निपटती हैं।
सीमा पर खड़े जवानों से लेकर सामान्य पुलिस के साथ-साथ ये एजेंसियां भी देश को बहुत बड़े-बड़े खतरों से बचाती हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( NCB) समेत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के नाम आप सभी को बखूबी पता होंगे। लेकिन देश की एक और टॉप एजेंसी है, जो दिन-रात देश में चल रही गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर गड़ाए रहती है। इस एजेंसी का नाम है- राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI)।
भारत की खुफिया एजेंसी- DRI
राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence) एक भारतीय खुफिया एजेंसी है। ड्रग्स, सोना, हीरे, इलेक्ट्रॉनिक्स, विदेशी मुद्रा और नकली भारतीय मुद्रा सहित कई वस्तुओं की तस्करी पर रोक लगाने का जिम्मा इस एजेंसी पर होता है।यह भारत की एक प्रमुख तस्करी विरोधी खुफिया, जांच और ऑपरेशन एजेंसी है। 4 दिसंबर, 1957 को DRI का गठन केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के तहत शीर्ष तस्करी विरोधी खुफिया और जांच एजेंसी के रूप में किया गया। DRI देश को आर्थिक और राष्ट्रीय रूप से सुरक्षित करने का काम करता है। इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के विशेष सचिव के महानिदेशक करते है।
अंतर्राष्ट्रीय धोखाधड़ी पर भी रखता है पैनी नजर
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय और राजस्व विभाग में केंद्रीय अप्रत्यक्ष करों और सीमा शुल्क बोर्ड के अधीन तस्करी के खतरे से निपटने के लिये डीआरआई के टॉप इंटेलिजेंस बॉडी है। इसका मुख्य काम नशीले पदार्थों की तस्करी, वन्यजीव और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील वस्तुओं के अवैध व्यापार और तस्करी का पता लगाकर उसपर अंकुश लगाना है। इसकी न केवल देश के गैरकानूनी गतिविधि बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित वाणिज्यिक धोखाधड़ी और सीमा शुल्क की चोरी पर भी पैनी नजर रहती है। यहीं कारण है कि इस एजेंसी को प्रमुख एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
इसके प्रमुख काम
DRI अपने खुफिया सूत्रों के जरिए भारत के बाहर और अंदर होने वाली तस्करी से जुड़ी सभी जानकारियों को जमा करता है और फिर उस पर कड़ी कार्रवाई करता है। तस्करी से जुड़े सामानों के देख-रेख का जिम्मा डीआरआई ही करता है। यहीं नहीं, यह एजेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी से लड़ने वाली संस्था ESCAP के साथ मिलकर काम करती है। इससे अतंराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली तस्करी पर रोक लगाया जाता है।
इसके अलावा डीआरआई इंटरपोल और सीबीआई के साथ मिलकर भी काम करती है। भारत-नेपाल बॉर्डर पर तस्करी से जुड़े जितने भी मामले होंगे उन सभी केसों का देख-रेख करना और तस्करी को रोकने का जिम्मा भी DRI के पास होता है। अगर कोई भी खुफिया जानकारी डीआरआई को देता है तो CBIC के गाइडलाइन के अनुसार उस शख्स को जब्त किए गए सामान का कुल 20 प्रतिशत दिया जा सकता है, बशर्ते नशीला प्रदार्थ, सोना इसमें शामिल नहीं होना चाहिए।
भारत में तस्करी
- देश में तस्करी की जाने वाली वस्तुओं में सोना पहले नंबर पर आता है। इसके बाद नशीले पदार्थ,सिगरेट, विदेशी मुद्रा समेत जानवरों का नंबर आता है।
- भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ने वाला अवैध सिगरेट बाजार बन गया है।
- विश्व स्वर्ण परिषद के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में लगभग 120 टन सोने की भारत में तस्करी की गई थी, जो देश की वार्षिक मांग का लगभग 15-17 प्रतिशत था।
इस अधिकारी से कांप उठते थे तस्कर
शीर्ष सीमा शुल्क अधिकारी और तस्करी रोधी विशेषज्ञ दया शंकर का नाम 80 के दशक में सबकी जुबान पर हुआ करता था। ईमानदार और एक निडर सिविल सेवक दया शंकर तब सुर्खियों में आए जब वे मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात थे। 80 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स और सोने की तस्करी चरम पर थी। तस्कर अपना काम उस समय करते थे, जब अधिकारी दया शंकर काम पर तैनात नहीं होते थे।
खौफ इतना ज्यादा था कि दुबई, सिंगापुर, हांगकांग और अन्य स्थानों पर हवाई अड्डों पर शंकर के नाम का नोटिस बोर्ड लगाया जाता था। इस नोटिस बोर्ड में चेतावनी के रूप में उनके ‘ड्यूटी टाइमिंग’ लिखी होती थी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स ने शंकर को गुजरात, गोवा और मुंबई हवाई अड्डों के वलसाड के कुख्यात तस्करी क्षेत्रों और समुद्री और निवारक विंग या राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) जैसी विशेष एजेंसियों में वर्षों तक तैनात किया।