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G20 Summit: डिनर में विश्व नेताओं ने किया भारत की संगीत विरासत का अनुभव


नई दिल्ली, । नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए सभी विश्व नेताओं के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने जी20 डिनर का आयोजन किया था। इस मौके पर भारत मंडपम में आयोजित औपचारिक रात्रिभोज के दौरान संगीतकारों के एक समूह ने सभी विदेशी मेहमानों का स्वागत कई वाद्य यंत्र बजाकर किया।

राष्ट्रपति मुर्मु ने किया स्वागत

गौरतलब है कि इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और कई अन्य सहित शीर्ष विश्व नेता यहां एकत्र हुए हैं।

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात्रिभोज की शुरुआत से पहले एक मंच पर मेहमानों का स्वागत किया। इस मंच के पीछे पर्दे पर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल, बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को दर्शाया गया था।

विदेशी मेहमानों को परोसे गए खास व्यंजन

अधिकारियों ने कहा कि भारत की विरासत अपनी विविधता के साथ विश्व नेताओं को थाली में परोसी गई। मेहमानों के मेन्यू में बाजरा आधारित व्यंजन भी विशेष रूप से जोड़े गए थे। सूत्रों ने कहा कि रात्रिभोज में मेहमानों को विभिन्न प्रकार की मिठाइयां पेश की गईं, जिनमें भारत में मानसून के मौसम के दौरान खाया जाने वाला पारंपरिक व्यंजन ‘घेवर’ भी शामिल था।

 

कई समूहों ने किया प्रदर्शन

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “राष्ट्रपति द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भारत ने दुनिया के सामने अपनी विविध संगीत विरासत का प्रदर्शन किया। शास्त्रीय और समकालीन संगीत की विभिन्न शैलियों को लाने वाले समूह ने जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विश्व नेताओं के लिए प्रदर्शन किया।” दरअसल, शास्त्रीय और समकालीन संगीत की विभिन्न शैलियों को लाने वाले वाद्ययंत्रवादियों के एक समूह ने इस कार्यक्रम के दौरान काफी अच्छा प्रदर्शन किया।

गंधर्व अटोद्यम रहा आकर्षण का केंद्र

इस कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण का केंद्र ‘गंधर्व अटोद्यम’ समूह का प्रदर्शन बना था। इन्होंने ‘भारत वाद्य दर्शनम’ यानी भारत की संगीतमय यात्रा का प्रदर्शन किया था। अधिकारियों ने बताया कि इसमें सुरसिंगार, मोहन वीणा, जल तरंग, जोडिया पावा, ढंगाली और दिलरुबा सहित देश के संगीत वाद्ययंत्र शामिल थे। इस दौरान हिंदुस्तानी, कर्नाटक, लोक और समकालीन संगीत का भी प्रदर्शन किया गया था।

 

पारंपरिक पोशाक में किया प्रदर्शन

देश की संगीत विरासत की समृद्ध टेपेस्ट्री का जश्न मनाने के लिए संगीत नाटक अकादमी द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। प्रदर्शन की शुरुआत विलम्बित लय (धीमी गति) की रचनाओं से हुई, उसके बाद मध्य लय (मध्यम तेज गति) की रचनाओं के साथ, द्रुत लय (तेज गति) के कुछ अंकों के साथ समाप्त हुआ। अधिकारियों ने कहा था कि संगीतकारों ने अपने क्षेत्र की पारंपरिक पोशाकों में वाद्ययंत्र बजाया।