सूत्रों के मुताबिक राज्यों को इस साल जुलाई माह से क्षतिपूर्ति मिलना जारी रहेगा या नहीं, इस पर अंतिम रूप से फैसला जीएसटी काउंसिल की तरफ से लिया जाएगा, लेकिन इतना तय है कि राज्य चाहेंगे कि अभी उन्हें क्षतिपूर्ति का भुगतान होता रहे। इसकी मुख्य वजह यह भी है कि कोरोना काल में अतिरिक्त कर्ज लेने से कई राज्य चालू वित्त वर्ष 2022-23 में काफी सीमित मात्रा में कर्ज ले सकते हैं।
वर्ष 2017 के जुलाई माह में जीएसटी प्रणाली के लागू होने के दौरान यह फैसला किया गया था कि अगले पांच साल तक वैट समाप्त करने की वजह राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार क्षतिपूर्ति राशि के रूप में करेगी। इस क्षतिपूर्ति के लिए तंबाकू, सिगरेट, महंगी बाइक और कार जैसे कई आइटम पर अतिरिक्त सेस लगाए गए।
हालांकि क्षतिपूर्ति के नाम पर लिए जाने वाले सेस 30 मार्च, 2026 तक जारी रहेंगे। राज्यों को क्षतिपूर्ति की भरपाई के हिसाब से सेस की वसूली नहीं होने और कोरोना की वजह से जीएसटी संग्रह में होने वाली भारी कमी की वजह से विगत दो वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने राज्यों के नाम पर कर्ज लेकर 1.1 लाख करोड़ और 1.59 लाख करोड़ रुपए का भुगतान राज्यों को किया।