आईसीएमआर के मुताबिक कोवैक्सीन के परिणाम को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि ये वैक्सीन ब्रिटेन और ब्राजील में पाए गए कोरोना वायरस से भी बचाव करती है. इसी तरह का प्रयोग देश के डबल म्यूटेंट वायरस के साथ भी किया जा चुका है. खास बात ये है कि सभी के नतीजे सकारात्मक रहे. कोवैक्सीन के तीसरे फेज और अंतरिम ट्रायल में हल्के से गंभीर कोविड19 संक्रमण को रोकने में 78 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है.
कोवैक्सीन के बारे में ऐसा भी दावा किया गया है कि इसे लगवाने के बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत 100 प्रतिशत तक कम हो जाती है. कोवैक्सिन के तीसरे चरण में 25,800 वॉलेंटियर्स को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 18 से 98 साल थी. कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज 14 दिन के बाद दी गई, जिसके परिणाम काफी राहत देने वाले दिखाई दिए.
दोनों डोज के बाद भी संक्रमण पर असर हल्का
सरकार ने इस बात को माना है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं हालांकि उन्होंने कहा कि इनकी संख्या बेहद कम है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बाद अगर संक्रमण हो भी रहा है तो वह ज्यादा गंभीर नहीं है. बता दें कि इस समय देश में कोविशील्ड और कोवैक्सिन लगाई जा रही हैं.