- IIT मद्रास के रिसर्चर्स ने ड्रोन विमानों के लिए एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए अंतरिक्ष स्टेशनों, अंतरिक्ष यान और उपग्रहों में आग के स्वरूप का अध्ययन करने में मदद मिलेगी. रिसर्चर्स की टीम के मुताबिक, एक मल्टीरोटर माइक्रोग्रैविटी प्लेटफॉर्म की मदद से चंद्रमा और मंगल के समान कम-गुरुत्वाकर्षण वातावरण जैसी परिस्थिति पृथ्वी पर भी विकसित की जा सकती है, ताकि वैज्ञानिक प्रयोग आसानी से किए जा सकें.
रिसर्चर्स की टीम का कहना है कि मौजूदा समय में माइक्रोग्रैविटी (ऐसी परिस्थिति जहां गुरुत्वाकर्षण बल शून्य के करीब हो) जैसी स्थिति केवल अंतरिक्ष स्टेशनों, उपग्रहों, अंतरिक्ष यानों, रॉकेटों और ड्रॉप टावर्स के जरिए ही पैदा की जा सकती है. ऐसी सुविधाएं भारत के अधिकतर शैक्षणिक संस्थानों की पहुंच से बहुत दूर हैं.
आईआईटी मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में रिसर्च स्कॉलर केदारिसेट्टी सिद्धार्थ ने पीटीआई से कहा, “धरती पर माइक्रोग्रैविटी जैसी स्थिति पैदा करने का एक और तरीका यह है कि इसके लिए ‘फ्री-फॉल’ फ्लाइट का उपयोग किया जाएगा. रॉकेटों का मुक्त रूप से गिरना और अधिक ऊंचाई वाले गुब्बारों और ड्रॉप टावरों से किसी वस्तु का मुक्त रूप से गिरना भी माइक्रोग्रैविटी जैसी स्थिति पैदा कर सकता है.”